Pratidin junk food khane wale balak aur mata ke beech samvad
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बालक-- मां मैं आज स्कूल नहीं जा पाऊंगा।
मां-- क्यों बेटा?
बालक-- मां पेट में बहुत दर्द हो रहा है।
मां-- तुमने कल फिर से बाहर का खाना खाया था न?
बालक-- नहीं मां।
मां-- झूठ मत बोलो।
बालक-- मां मैं...
मां-- क्या मैं हां दिन रात मैं पौष्टिक आहार बनाती हूं ताकि तुमको कोई बीमारी न हो । मगर तुम खुद बीमार पड़ना चाहते हो।
बालक-- मां मुझे चटकदार खाना अच्छा लगता है।
मां-- हमेशा चटकदार खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता।
बालक-- मां पर अब मैं क्या करूं । मेरा दर्द बढ़ता ही जा रहा हैं।
मां-- जाओ खोमचे वाले के सढ़ी हुई तेलकी पूरी खाकर आओ।
बालक-- क्या वह लोग गंदे तेल से खाना बनाते हैं।
मां-- हां, बेटा।
बालक-- इसलिए हर दो दिन में मेरे पेट में दर्द होता है।
मां-- हां मेरे लाल।
बालक-- मां आप मुझे डाक्टर के पास ले जाओ। मैं आपसे वादा करता हूं कि मैं अब से बाहर का खाना खाना अब धीरे धीरे बंद कर दूंगा।
मां-- मेरा प्यारा बच्चा। चलो डाक्टर के पास
मां-- क्यों बेटा?
बालक-- मां पेट में बहुत दर्द हो रहा है।
मां-- तुमने कल फिर से बाहर का खाना खाया था न?
बालक-- नहीं मां।
मां-- झूठ मत बोलो।
बालक-- मां मैं...
मां-- क्या मैं हां दिन रात मैं पौष्टिक आहार बनाती हूं ताकि तुमको कोई बीमारी न हो । मगर तुम खुद बीमार पड़ना चाहते हो।
बालक-- मां मुझे चटकदार खाना अच्छा लगता है।
मां-- हमेशा चटकदार खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता।
बालक-- मां पर अब मैं क्या करूं । मेरा दर्द बढ़ता ही जा रहा हैं।
मां-- जाओ खोमचे वाले के सढ़ी हुई तेलकी पूरी खाकर आओ।
बालक-- क्या वह लोग गंदे तेल से खाना बनाते हैं।
मां-- हां, बेटा।
बालक-- इसलिए हर दो दिन में मेरे पेट में दर्द होता है।
मां-- हां मेरे लाल।
बालक-- मां आप मुझे डाक्टर के पास ले जाओ। मैं आपसे वादा करता हूं कि मैं अब से बाहर का खाना खाना अब धीरे धीरे बंद कर दूंगा।
मां-- मेरा प्यारा बच्चा। चलो डाक्टर के पास
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बालक-- मां मैं आज स्कूल नहीं जा पाऊंगा।
मां-- क्यों बेटा?
बालक-- मां पेट में बहुत दर्द हो रहा है।
मां-- तुमने कल फिर से बाहर का खाना खाया था न?
बालक-- नहीं मां।
मां-- झूठ मत बोलो।
बालक-- मां मैं...
मां-- क्या मैं हां दिन रात मैं पौष्टिक आहार बनाती हूं ताकि तुमको कोई बीमारी न हो । मगर तुम खुद बीमार पड़ना चाहते हो।
बालक-- मां मुझे चटकदार खाना अच्छा लगता है।
मां-- हमेशा चटकदार खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता।
बालक-- मां पर अब मैं क्या करूं । मेरा दर्द बढ़ता ही जा रहा हैं।
मां-- जाओ खोमचे वाले के सढ़ी हुई तेलकी पूरी खाकर आओ।
बालक-- क्या वह लोग गंदे तेल से खाना बनाते हैं।
मां-- हां, बेटा।
बालक-- इसलिए हर दो दिन में मेरे पेट में दर्द होता है।
मां-- हां मेरे लाल।
बालक-- मां आप मुझे डाक्टर के पास ले जाओ। मैं आपसे वादा करता हूं कि मैं अब से बाहर का खाना खाना अब धीरे धीरे बंद कर दूंगा।
मां-- मेरा प्यारा बच्चा। चलो डाक्टर के पास
मां-- क्यों बेटा?
बालक-- मां पेट में बहुत दर्द हो रहा है।
मां-- तुमने कल फिर से बाहर का खाना खाया था न?
बालक-- नहीं मां।
मां-- झूठ मत बोलो।
बालक-- मां मैं...
मां-- क्या मैं हां दिन रात मैं पौष्टिक आहार बनाती हूं ताकि तुमको कोई बीमारी न हो । मगर तुम खुद बीमार पड़ना चाहते हो।
बालक-- मां मुझे चटकदार खाना अच्छा लगता है।
मां-- हमेशा चटकदार खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता।
बालक-- मां पर अब मैं क्या करूं । मेरा दर्द बढ़ता ही जा रहा हैं।
मां-- जाओ खोमचे वाले के सढ़ी हुई तेलकी पूरी खाकर आओ।
बालक-- क्या वह लोग गंदे तेल से खाना बनाते हैं।
मां-- हां, बेटा।
बालक-- इसलिए हर दो दिन में मेरे पेट में दर्द होता है।
मां-- हां मेरे लाल।
बालक-- मां आप मुझे डाक्टर के पास ले जाओ। मैं आपसे वादा करता हूं कि मैं अब से बाहर का खाना खाना अब धीरे धीरे बंद कर दूंगा।
मां-- मेरा प्यारा बच्चा। चलो डाक्टर के पास
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