Hindi, asked by cgracy1, 2 months ago

pratyashit aur purvanumanit samachar srot ke parichay

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Answered by somisettynagamani29
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प्रत्याशित स्रोत

इस तरह के स्रोत पत्रकारों की जानकारी में पहले से ही होती है, सिर्फ उनसे संपर्क साधने और उनके द्वारा समाचार पाए जाने की कुशलता पत्रकार में होनी चाहिए। इनमें प्रमुख स्रोत है-

पुलिस विभाग- सूचना का सबसे बड़ा केन्द्र पुलिस विभाग का होता है। परू े जिले में होनवे ाली सभी घटनाओं की जानकारी पुि लस विभाग को होती है, जिसे पुलिसकर्मी-प्रेस के प्रभारी पत्रकारों को बताते हैं।

प्रेस विज्ञप्तियाँ- सरकारी विभाग, सार्वजनिक अथवा व्यक्तिगत प्रतिष्ठान तथा अन्य व्यक्ति या संगठन अपने से संबंधित समाचार को सरल और स्पष्ट भाषा में लिखकर ब्यूरो आफिस में प्रसारण के लिए भिजवाते हैं। सरकारी विज्ञप्तियाँ चार प्रकार की होती हैं।

प्रेस कम्युनिक्स- शासन के महत्वपूर्ण निर्णय प्रेस कम्युनिक्स के माध्यम से समाचार-पत्रों को पहुँचाए जाते हैं। इनके सम्पादन की आवश्यकता नहीं होती है। इस रिलीज के बाएँ ओर सबसे नीचे कोने पर संबंधित विभाग का नाम, स्थान और निर्गत करने की तिथि अंकित होती है। जबकि टीवी के लिए रिपोर्टर स्वयं जाता है।

प्रेस रिलीज- शासन के अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण निर्णय प्रेस रीलिज के द्वारा समाचार-पत्र आरै टी.वी. चैनल के कार्यालयो को प्रकाशनार्थ भेजे जाते हैं।

हैण्ड आउट- दिन-प्रतिदिन के विविध विषयो, मंत्रालय के क्रिया-कलापो की सूचना हैण्ड-आउट के माध्यम से दी जाती है। यह प्रेस इन्फारमेशन ब्यूरो द्वारा प्रसारित किए जाते हैं।

गैर-विभागीय हैण्ड आउट- मौखिक रूप से दी गई सूचनाओं को गैर-विभागीय हैण्ड आउट के माध्यम से प्रसारित किया जाता है।

सरकारी विभाग- पुलिस विभाग के अतिरिक्त अन्य सरकारी विभाग समाचारों के केन्द्र होते हैं। पत्रकार स्वयं जाकर खबरों का संकलन करते हैं अथवा यह विभाग अपनी उपलब्धियों को समय-समय पर प्रकाशन हेतु समाचार-पत्र और टीवी कार्यालयों को भेजते रहते हैं।

कारपोरेट आफिस- निजी क्षेत्र की कम्पनियों के आफिस अपनी कम्पनी से संबंधित समाचारों को देने में दिलचस्पी रखते हैं। टेलीविजन में कई चैनल व्यापार पर आधारित हैं।

न्यायालय- जिला अदालतां,े उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले व उनके द्वारा व्यक्ति या संस्थाओं को दिए गए निर्देश समाचार के प्रमुख स्रोत होते हैं।

साक्षात्कार- विभागाध्यक्षो अथवा अन्य विशिष्ट व्यक्तियों के साक्षात्कार समाचार के महत्वपूर्ण अंग होते हैं।

पत्रकार वार्ता- सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थान अक्सर अपनी उपलब्धियों को प्रकाशित करने के लिए पत्रकारवार्ता का आयोजन करते हैं। उनके द्वारा दिए गए वक्तव्य समाचारों को जन्म देते हैं।

समाचारों का फालो-अप या अनुवर्तन- महत्वपूर्ण घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट रुचिकर समाचार बनते हैं। दर्शक चाहते हैं कि बड़ी घटनाओं के संबंध में उन्हें सविस्तार जानकारी मिलती रहे। इसके लिए संवाददाताओं को घटनाओं की तह तक जाना पडत़ा है।

समाचार समितियाँ- देश-विदेश में अनेक ऐसी समितियाँ हैं जो विस्तृत क्षेत्रों के समाचारों को संकलित करके अपने सदस्य अखबारों और टीवी को प्रकाशन और प्रसारण के लिए प्रस्तुत करती हैं।

मुख्य समितियों में पी.टी.आई. (भारत), यू.एन.आई.(भारत), ए.पी.(अमेरिका), ए.एफ.पी.(फ्रान्स), रायटर (ब्रिटेन) आदि। उपर्युक्त स्रोतों के अतिरिक्त सभा, सम्मेलन, साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम, विधानसभा, संसद, नगर निगम, नगरपालिका की बैठकें, मिल, कारखाने और वे सभी स्थल जहाँ सामाजिक जीवन की घटना मिलती है, समाचार के महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं।

पूर्वानुमानित स्रोत

इस श्रेणी में वे स्रोत होते हैं जहां से समाचार मिलने का अनुमान तो है लेकिन निश्चितता नहीं होती है। केवल अनुमान के आधार पर ऐसे स्रोतों से समाचार पाने के लिए निकाला जा सकता है। जैसे बडे नगरों में गंदी बस्तियो की समस्या, छोटे नगरों में गंदी सड़कों एवं नालियों की। इनसे जन जीवन कितना और किस तरह प्रभावित हो रहा है? अस्पतालों सफाई और स्वच्छता की क्या स्थिति है? वहां लंबी-लंबी लाईनें क्यों लगी रहती है? क्या चिकित्सकों की कमी है या नर्स और कंपाउंडर पूरे नहीं हैं? मरीजो को जमीन पर बिस्तर बिछाकर क्यों लिटाया जाता है? इसी तरह विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, विद्यालय में शैक्षणिक समस्याएँ, इसकी आंतरिक राजनीति के क्या हाल हैं? सरकारी योजनाएं लागू की जाती है। उसे लागू करने के बाद उसका लोगों को लाभ मिला या नहीं। शिलान्यास किए जाने के बाद उस पर काम हुआ या नहीं? किसी निर्माण कार्य की प्रगति आदि ऐसे स्रोत हैं जहां पूर्वानुमाति होते हैं और महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

अप्रत्याशित स्रोत

इस श्रेणी के स्रोतों से समाचार का सुराग पाने के लिए पत्रकार का अनुभव काम आता है। सतर्क दृश्टिवाले अनुभवी पत्रकारों को, जिनके संपर्क सूत्र अच्छे होते हैं, इस प्रकार के स्रोतों से समाचार प्राप्त करने से ज्यादा कठिनाई नहीं होती। इस प्रकार के समाचारों के संकेत बहुधा सहसा मिलते हैं, जिसे अनुभवी पत्रकार जल्दी ही पकड़ लते े हैं आरै उसके बाद उनकी खोज में लग जाते हैं। उदाहरण स्वरूप-

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