Praunia
अचिो
रात हुई तारीकी छाई, मीठी नींद सभी को आई।
मुन्नू सोया अप्पा सोई, अब्बा सोए अम्मी सोई।
आधी रात हुई जब सोते, खर खर खर खर्राटे भरते।
चुपके-चुपके आँधी आई, गर्द गुबार उड़ाती लाई।
चली हवाएँ सुर्र सुर्र सुर्र सुर्र, कागज़ उड़ गए फुर्र फुर्र फुर्र फुरी।
खड़ खड़ खड़ खड़ पत्ते खड़के, डरने वालों के दिल धड़के।
बजने लगे किवाड़े खट खट, घर वाले सब जागे झटपट।
खटपट सुनकर मुन्नू जागा, उठकर झटपट अंदर भागा।
आँधी ने फिर ज़ोर दिखाया, फूस का छप्पर दूर गिराया।
टीन उड़ाई पेड़ गिराए, खपरे भी छत के सरकाए।
शाखें टूटी तड़ तड़ तड़ तड़, बादल गरजे गड़ गड़ गड़ गड़।
विजली चमकी चम चम चम चम, बूंदें टपकी कम कम थम थम
लेकिन वह बूंदें थीं कैसी, पट पट पट पट ओले जैसी।
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hjhjjjjjjhdggf
shoofe iwkas a little
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