Hindi, asked by Swayams7, 4 months ago

preeti nadi me paav na borio ka kya arth hai​

Answers

Answered by rkhare20876
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Answer:

इस पंक्ति का भाव ये है कि उद्धव ने प्रीति दी मतलब श्री कृष्ण के प्रेम रूपी नदी में कभी अपने पैर डुबाये नही वो श्री कृष्ण के समीप हक भी उनके प्रेम से वंचित है

Answered by mallikreyansh129
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उत्तर :

प्रश्न: "प्रीति नदी में पाऊं बोरियों" का क्या अर्थ है?

"प्रीति नदी में पाऊं न बोरेयो" इस पंक्ति से यह तात्पर्य है कि उद्धव ने कभी प्रीति - नदी अर्थात प्रेम की नदी में पांव नहीं रखा। अर्थात उद्धव को कभी नदी रूपी कृष्ण से प्रेम नहीं हुआ।

प्रश्न: "प्रीति नदी में पाऊं बोरियों, दृष्टि रूप परागी" भाब स्पष्ट कीजिए

"प्रीति नदी में पाऊं न बोरेयो, दृष्टि न रूप परागी" इस पंक्ति से यह तात्पर्य है कि उद्धव ने कभी प्रीति - नदी अर्थात प्रेम की नदी में पांव नहीं रखा। अर्थात उद्धव को कभी नदी रूपी कृष्ण से प्रेम नहीं हुआ।और न ही उद्धव की दृष्टि कभी कृष्ण के रूप सौंदर्य पर मुग्ध हुई।

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