Hindi, asked by Harishkrishna3279, 10 months ago

Prem vistar hai aur swarth sankuchan swami vivekanand

Answers

Answered by MotiSani
2

प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन है:

प्रेम की भावना दुनिया की सबसे अनमोल भावना है और इस भावना के कारण ही दुनिया में लोग आपस में खुश रहते हैं और शान्तिपूर्वक रहते हैं। प्रेम से मनुष्य ना केवल खुद से प्रेम करना सीखता है बल्कि वह अपने आसपास के मनुष्यों से भी प्रेम करता है जिसके कारण उसका हृदय विस्तृत हो जाता है, उसकी सोच की तरह।

वहीं दूसरी ओर स्वार्थ की भावना में मनुष्य केवल खुद के बारे में ही सोचता है और किसी दूसरे की चिंता नहीं करता। खुद में इतना लीन होने के कारण एक स्वार्थी मनुष्य कभी भी ना तो दूसरों की खुशी के लिए कुछ कर सकता है और ना ही खुद के अलावा किसी और की सोच सकता है। इसी कारण ऐसे व्यक्ति की सोच हमेशा संकुचित और एक सिमित दायरे तक ही रहती है।

Similar questions