Hindi, asked by gouravkairi9, 3 months ago

premchand ji ka nibadha sahitya ka uddysha ka mulayankan kijiya

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Answered by janhvishende
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आज ही के दिन वर्ष 1936 में हिंदी के महान लेखक और कथा सम्राट मुंशी प्रेमचन्द का निधन हुआ था. प्रेमचन्द हिन्दी साहित्य के वह ध्रुव तारे हैं जिन्होंने अपनी कहानियों में ना सिर्फ ड्रामे को जगह दी बल्कि अपनी कहानियों से उन्होंने आम इंसान की छवि को दर्शाने की कोशिश की. मुंशी प्रेमचंद सच्चे साहित्यकार ही नहीं थे अपितु वे एक दार्शनिक भी थे. उन्होंने अपनी लेखनी से समाज के प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति के साथ घटी हुई घटनाओं के सच्चे दर्शन करवाए थे. मुंशी प्रेमचंद ने किसानों, दलितों, महिलाओं आदि की दशाओं पर गहन अध्ययन करते हुए अपनी सोच को लेखनी के माध्यम से समाज के समक्ष प्रस्तुत किया. और इतना ही नहीं प्रेमचन्द की कहानियों में देशभक्ति की भी खुशबू आती है.

प्रेमचंद के जन्म (31 जुलाई, 1880) के समय भारत की जो राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परिस्थिति थी तथा ब्रिटिश शासन एवं साम्राज्यवाद का जो इतिहास था, उसमें प्रेमचंद का एक देशभक्त, राष्ट्रप्रेमी तथा राष्ट्र के प्रति समर्पित साहित्यकार के रूप में उभर कर आना अत्यन्त स्वाभाविक था. प्रेमचंद की पहली रचना उर्दू लेख 'ओलिवर क्रामवेल' बनारस के उर्दू साप्ताहिक 'आवाज-ए-खल्क' में 1 मई, 1903 में छपा जब वे 23 वर्ष के थे. उसके बाद उनके उर्दू उपन्यास 'असरारे मआविद', 'रूठी रानी', 'किशना' तथा हिन्दी उपन्यास 'प्रेमा' प्रकाशित हुए. कहानी के क्षेत्र में उनका पहला उर्दू कहानी-संग्रह 'सोजेवतन' जून, 1908 में प्रकाशित हुआ जो कुछ घटनाओं के कारण ऐतिहासिक महत्व का बन गया. 'सोजेवतन' की देश-प्रेम की कहानियों को ब्रिटिश सरकार ने उसे 'राजद्रोहात्मक' माना और उसे जब्त करके बची प्रतियों को जलवा दिया. प्रेमचंद को 'प्रेमचंद' बनाने में इसी घटना का योगदान था.

हिन्दी साहित्य के इतिहास में उपन्यास सम्राट के रूप में अपनी पहचान बना चुके प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था. एक लेखक के रूप में प्रेमचन्द जो भी लिखते थे उसमें से ज्यादातर घटनाएं उनके जीवन में ही घट चुकी थी. बचपन में ही मां की मृत्यु, फिर सौतेली मां का दुर्व्यव्हार. उसके बाद छोटी उम्र में शादी फिर तलाक. तलाक के बाद पश्चाताप के लिए एक विधवा से शादी. ऐसे ना जाने कितनी घटनाओं ने प्रेमचन्द्र का जीवन बदल कर रख दिया और उनके अंतर्मन को लिखने की शक्ति दी.

प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 को वाराणसी से लगभग चार मील दूर लमही नामक ग्राम में हुआ था. इनका संबंध एक गरीब कायस्थ परिवार से था. इनके पिता अजायब राय श्रीवास्तव डाकमुंशी के रूप में कार्य करते थे. प्रेमचंद ने अपना बचपन असामान्य और नकारात्मक परिस्थितियों में बिताया. जब वह केवल आठवीं कक्षा में ही पढ़ते थे, तभी इनकी माता का लंबी बीमारी के बाद देहांत हो गया. माता के निधन के दो वर्ष बाद प्रेमचंद के पिता ने दूसरा विवाह कर लिया. लेकिन उनकी नई मां उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती थीं. पंद्रह वर्ष की छोटी सी आयु में प्रेमचंद का विवाह एक ऐसी कन्या से साथ करा दिया गया. जो ना तो देखने में सुंदर थी, और ना ही स्वभाव की अच्छी थी. परिणामस्वरूप उनका संबंध अधिक समय तक ना टिक सका और टूट गया.

लेकिन अपना पहला विवाह असफल होने और उसके बाद अपनी पूर्व पत्नी की दयनीय दशा देखते हुए, प्रेमचंद ने यह निश्चय कर लिया था कि वह किसी विधवा से ही विवाह करेंगे. पश्चाताप करने के उद्देश्य से उन्होंने सन 1905 के अंतिम दिनों में शिवरानी देवी नामक एक बाल-विधवा से विवाह रचा लिया. गरीबी और तंगहाली के हालातों में जैसे-तैसे प्रेमचंद ने मैट्रिक की परीक्षा पास की. जीवन के आरंभ में ही इनको गांव से दूर वाराणसी पढ़ने के लिए नंगे पांव जाना पड़ता था. इसी बीच उनके पिता का देहांत हो गया. प्रेमचंद वकील बनना चाहते थे. लेकिन गरीबी ने उन्हें तोड़ दिया. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य, पर्सियन और इतिहास विषयों से स्नातक की उपाधि द्वितीय श्रेणी में प्राप्त की थी.

प्रेमचंद के उपन्यासों और कहानियों में देश-प्रेम की यह स्थिति प्रचुर मात्रा में दिखायी देती है. गांधी की प्रेरणा से सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने के बाद प्रकाशित उनके 'प्रेमाश्रम', 'रंगभूमि', 'कर्मभूमि' आदि उपन्यासों में गांधी के हृदय-परिवर्तन, सत्याग्रह, ट्रस्टीशिप, स्वदेशी, सविनय अवज्ञा, राम-राज्य, औद्योगीकरण का विरोध तथा कृषि जीवन की रक्षा, ग्रामोत्थान एवं अछूतोद्धार, अहिंसक आन्दोलन, हिन्दू-मुस्लिम एकता, किसानों-मजदूरों के अधिकारों की रक्षा आदि का विभिन्न कथा-प्रसंगों तथा पात्रों के संघर्ष में चित्रण हुआ है.

कहानी-संग्रह: प्रेमचंद ने कई कहानियां लिखी हैं. उनके 21 कहानी संग्रह प्रकाशित हुए थे जिनमें 300 के लगभग कहानियां हैं. ये शोजे -वतन, सप्त सरोज, नमक का दारोगा, प्रेम पचीसी, प्रेम प्रसून, प्रेम द्वादशी, प्रेम प्रतिमा, प्रेम तिथि, पञ्च फूल, प्रेम चतुर्थी, प्रेम प्रतिज्ञा, सप्त सुमन, प्रेम पंचमी, प्रेरणा, समर यात्रा, पञ्च प्रसून, नवजीवन इत्यादि नामों से प्रकाशित हुई थी.

प्रेमचंद की लगभग सभी कहानियों का संग्रह वर्तमान में 'मानसरोवर' नाम से आठ भागों में प्रकाशित किया गया है.

नाटक: संग्राम, कर्बला एवं प्रेम की वेदी.

08 अक्टूबर, 1936 को 56 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. हिन्दी के इस महान साहित्यकार के बराबर ना आज तक कोई कथाकार हुआ है और ना ही निकट

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