Premchand ke jute fate hone ka kya kaaran ho sakta hai
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आज - कल के समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार , शोषण , अंधविश्वास , कुरीतियां , अत्याचार , पाखण्ड तथा दिखावे की संस्कृति की ओर इंगित करते हुए 'टीले' शब्द का प्रयोग किया गया है l लेखक कहते हैं कि इसी 'टीले' को ठोकर मारते - मारते प्रेमचंद का जूता फट गया है l अर्थात इन सब बुराइयों का विरोध करते - करते उनका जूता फट गया है l
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