Hindi, asked by hk201501230, 10 months ago

premchand ke phate juta ka saransh apne shabdo mein likho

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Answered by Anupamkumar4553
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प्रस्तुत लेख में परसाई जी ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व की सादगी के साथ एक रचनाकार की अंतर्भेदी सामाजिक दॄष्टि का विवेचन करते हुए आज की दिखावे की प्रवृत्ति एवं अवसरवादिता पर व्यंग्य किया है। लेखक प्रेमचंद के फटे जूते को देखकर आश्चर्यचकित होकर कहता है कि फोटो खिंचाने की अगर यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी? जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अंगुली बाहर निकल आई है। फिर भी चेहरे पर बड़ी बेपरवाही और विश्वास है। यह मुस्कान नहीं , इसमें उपहास है, व्यंग्य है। वह आगे कहता है कि इससे अच्छा होता कि तुम फोटो ही नहीं खिंचाते। तुम फोटो का महत्व नहीं समझते । लोग तो ऐसे कमों के लिए जूते क्या कपड़े और बीवी तक माँग लेते हैं।एक टोपी तक नहीं पहनी। टोपी तो आठ आने में मिल जाती है।

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