Premchand ki bhasha shaili
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Premchand ki bhasha shaili
Premchand ji ki bhasha shaili ek dum sateek aur saadharan thi isliye unki har rachna seedhe jan manas ke man par asar krti hai . unhone saidaiv samaj ki burayiyo par bahut hi marmik aur gahare tarike se kataksh kiye hai . unki hai rachna niechledarje ke logo ki samshaayo aur soshan ko bakhubi darshaati thi . kisi ke man ki antarvedna ko jagaan emai unki kalam humesha kaamyaab hui thi .Humesha seedhi sachhayi ko dikhaya apni sabhi kitaabo mai . Godaan aur namak ka daroga jaisi kai kaaljayi rachnaye iska udaaharan hai . unhone manoranjan se upar uth kar savikta ka dharatal dikhaya .Unko desh videsh mai aajeevan aadar aur samman parapt hai .
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साहित्य संगीत और कला से अनभिज्ञ मानव केवल पशु के समान है। यह सत्य है कि जो मनुष्य इन उच्च कोटि के तथ्यों में रुचि नही रखता उसका जीवन अपूर्ण ही होगा। साहित्य ऐसा अक्षय भण्डार है जो समय और पीढ़ी के पार है। एक मृग तृष्णा है जिस में जितना डूबें उतना ही आनंद पाए। भारत देश ने साहित्यिक क्षेत्र में विशेष स्थान बनाया है । हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी के लेखक साहित्य जगत में बहु चर्चित हैं।' उपन्यास सम्राट ' मुंशी प्रेमचंद हिंदी और उर्दू के विख्यात साहित्यकार माने जातें हैं। धनपतराय के नाम से जन्मे प्रेमचंद पहले ' नवाब राय ' के नाम से लिखते थे। कुछ वर्ष बाद उन्होंने प्रेमचंद नाम को अपनाया। मुंशी इनकी उपाधि मानी जाती है।
प्रेमचंद की रचनाएँ उनकी निजी जीवन से प्रेरित कहानियाँ हैं। उनकी निजी पारिवारिक और आर्थिक समस्याओं का प्रतिबिंब उनकी कहानियों में दिखता है। प्रेमचंद की भाषा सरल और व्यावहारिक है। अधिकांश कहानियाँ ग्रामीण समावेश में पाए जातें हैं। इनके पात्र निम्न वर्ग के ,समाज में पीडित लोगों के प्रतिनिधि हैं। मुंशी समाज में प्रचलित दहेज प्रथा स्त्री शोषण गरीबों की लाचारी जैसे अन्यायों पर सीधा आरोप लगाते है। उनके पात्रों का चित्रण उनकी स्थिति के अनुरूप किया गया है। मूक प्राणी भी सजीव बन जातें हैं। इन्होंने ने अपनी रचनाओं में हिंदी उर्दू और फ़ारसी के शब्दों का प्रयोग किया है। प्रेमचंद की सबसे बड़ी विशेषता सीधे सादे बोल चाल के माध्यम से आम जनता तक पहुँचना है। मन की व्यथा सहज ही उबर आती है।
गोदान, निर्मला ,शतरंज के खिलाड़ी इनके सुप्रसिद्ध रचनाओं में गिने जाते हैं।मुंशी जी अधिकतर दिल को छूने वाले मार्मिक कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। न्याय अधिकार उचित अनुचित जैसे नैतिक बातों को बहुत ही सरल ढंग से व्यावहारिक भाषा में पाठकों के मन में अंकित कर देते है। प्रेमचंद जैसे अल्प जीवन काल में महान ख्याति पाने वाले साहित्यकार निश्चय ही कम संख्या में पाए जाएंगे।
प्रेमचंद की रचनाएँ उनकी निजी जीवन से प्रेरित कहानियाँ हैं। उनकी निजी पारिवारिक और आर्थिक समस्याओं का प्रतिबिंब उनकी कहानियों में दिखता है। प्रेमचंद की भाषा सरल और व्यावहारिक है। अधिकांश कहानियाँ ग्रामीण समावेश में पाए जातें हैं। इनके पात्र निम्न वर्ग के ,समाज में पीडित लोगों के प्रतिनिधि हैं। मुंशी समाज में प्रचलित दहेज प्रथा स्त्री शोषण गरीबों की लाचारी जैसे अन्यायों पर सीधा आरोप लगाते है। उनके पात्रों का चित्रण उनकी स्थिति के अनुरूप किया गया है। मूक प्राणी भी सजीव बन जातें हैं। इन्होंने ने अपनी रचनाओं में हिंदी उर्दू और फ़ारसी के शब्दों का प्रयोग किया है। प्रेमचंद की सबसे बड़ी विशेषता सीधे सादे बोल चाल के माध्यम से आम जनता तक पहुँचना है। मन की व्यथा सहज ही उबर आती है।
गोदान, निर्मला ,शतरंज के खिलाड़ी इनके सुप्रसिद्ध रचनाओं में गिने जाते हैं।मुंशी जी अधिकतर दिल को छूने वाले मार्मिक कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। न्याय अधिकार उचित अनुचित जैसे नैतिक बातों को बहुत ही सरल ढंग से व्यावहारिक भाषा में पाठकों के मन में अंकित कर देते है। प्रेमचंद जैसे अल्प जीवन काल में महान ख्याति पाने वाले साहित्यकार निश्चय ही कम संख्या में पाए जाएंगे।
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