Premchand ki kisi kahani ka samvaad.
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प्रेमचंद ने हिंदी में यथार्थवाद की शुरुआत की। उनका पहला उपलब्ध लेखन उनका उर्दू उपन्यास 'असरारे मआबिद' है। इसके बाद प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह सोज़े-वतन नाम से आया। देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होने के कारण इस पर अंग्रेज़ी सरकार ने रोक लगा दी और इसके लेखक को भविष्य में इस तरह का लेखन न करने की चेतावनी दी। इसके कारण उन्हें नाम बदलकर लिखना पड़ा।
1921 में उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर अपनी नौकरी छोड़ दी। कुछ महीने मर्यादा पत्रिका का संपादन का भार संभाला और फिर छह साल तक माधुरी नामक पत्रिका का संपादन किया। 1930 में बनारस से अपना मासिक पत्रिका हंस को शुरू किया। प्रेमचंद ने कुल मिलाकर करीब तीन सौ कहानियां, लगभग एक दर्जन उपन्यास और कई लेख लिखे। उन्होंने कुछ नाटक भी लिखे और कुछ अनुवाद कार्य भी किए। प्रेमचंद के कई साहित्यिक कृतियों का अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन सहित अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ।
1921 में उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर अपनी नौकरी छोड़ दी। कुछ महीने मर्यादा पत्रिका का संपादन का भार संभाला और फिर छह साल तक माधुरी नामक पत्रिका का संपादन किया। 1930 में बनारस से अपना मासिक पत्रिका हंस को शुरू किया। प्रेमचंद ने कुल मिलाकर करीब तीन सौ कहानियां, लगभग एक दर्जन उपन्यास और कई लेख लिखे। उन्होंने कुछ नाटक भी लिखे और कुछ अनुवाद कार्य भी किए। प्रेमचंद के कई साहित्यिक कृतियों का अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन सहित अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ।
Vkrish2004:
I have not asked about premchand
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