Premchand ki vyangya muskan lekhak ko chubhti kyo hai
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Answer:
प्रेमचंद्र की व्यंग्य मुस्कान लेखक
को क्यों झुकती है ।
प्रेमचंद के फटे जूते इस कहानी में प्रेमचंद ने व्यंग्यात्मक मुस्कान दी है । जिसका अर्थ है किसी भी परिस्थिति में रहो किंतु हंसते और मुस्कुराते रहो ।
Explanation:
लेखक को प्रेमचंद्र की व्यंग मुस्कान चुभती झुकती है । लेखक यह सोचते हैं कि उस समय प्रेमचंद जब फोटो खींचा ने जा रहे थे , तब किसी का भी जूता मांग कर पहन लेते और फोटो खिंचवा लेते । क्योंकि फोटो तो सदियों तक भी रखी जा सकती है । तो क्यों ना असलियत में नहीं दिखावे के लिए ही जूते अच्छे पहले ले । लेकिन नहीं । इसी बात पर लेखक को प्रेमचंद्र की बैग मुस्कान चुभ रही है ।
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#BAL
Answer:
Hello
Explanation:
मित्र लेखक ने प्रेमचंद की मुस्कान को अधूरी इस कारण कहा है क्योंकि वह नकली थी। वह अपने चेहरे पे हँसी लाने की कोशिश कर रहे थे। वह अंदर से दुखी थे पर फोटो खिंचाने के लिए हँस रहे थे।