Premchand ko dikhava karna nahi aata tha. is kathan se aap kaha tak sehmat hai
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मैं दिए गए कथन से पूरी तरह सहमत हूं l
कपड़ों का इस्तेमाल हमें अपने शरीर को ढकने एवं सुरक्षित रखने के लिए करना चाहिए l परंतु आज लोग दिखावा और फैशन के चक्कर में पड़कर अपनी सुविधा और आराम तक को नजरअंदाज कर देते हैं l आजकल लोग अपनी आर्थिक क्षमता से भी बाहर निकलकर वेशभूषा का चुनाव करते हैं l
परंतु प्रेमचंद इसमें विश्वास नहीं रखते थे l हरिशंकर परसाई जी ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व को काफी सरल और सादा दिखाया है l उन्होंने अपने शरीर को सुरक्षित रखना ज्यादा महत्वपूर्ण माना l उन्हें मांगी हुई चीज को इस्तेमाल कर कर भी दिखावा करना अच्छा नहीं लगता था l वह एक स्वाभिमानी व्यक्ति एक थे और मानते थे कि समाज में अपने आप को प्रतिष्ठित करने के लिए सिर्फ धन और दिखावे की जरूरत नहीं l
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