premchandra ki jivani in about 50-60 words in hindi
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मुंशी प्रेमचंद हिंदी गद्य के महान कहानी कार के रूप में विख्यात हैं | इनका जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस से चार मील दूर ‘लमही’ नामक गांव में हुआ था | इनके बचपन का नाम ‘धनपतराय’ था | इनके पिता ‘अजायब राय’ जो डाकखाने में ₹ 20/- मासिक वेतन पर कार्य करते थे | इनकी माता का नाम ‘आनंदी देवी’ था | जब प्रेमचंद आठ (8) वर्ष के थे तो उनकी माता का देहांत हो गया और बाद में इनके पिता जी ने दूसरा विवाह कर लिया | घर की आर्थिक स्थिति सामान्य होने के कारण इनकी प्रारम्भिक शिक्षा एक मदरसे में मौलवी साहब के द्वारा प्रारम्भ की गयी | वे मदरसे में उर्दू और फारसी पढ़ने जाते थे | बाद में इनका नाम हाईस्कूल में लिखवाया गया |
किसानो जमींदारों के बीच संघर्ष हो रहा था | हरिजन जातियां सवर्णों से त्रस्त थीं, इन संघर्षों के कारण अनेक समस्याएं उत्पन्न हो गयी थी | ऐसे समय में प्रेमचंद ने अपने उपन्यासों के द्वारा समाज सुधार का कार्य आरंभ कर दिया |
जीवन के अंतिम दिनों में वे भाषा की समस्या को सुलझाने लगे | उन्होंने हिंदी और उर्दू को एक साथ मिलाने के लिए बहुत भागदौड़ की और इसी भागदौड़ ने इन्हें पहले से ज्यादा बीमार बना दिया | इनके पेट में घाव हो गए थे |
8 अक्टूबर 1936 को इनका देहान्त बनारस में हो गया |
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जीवन के अंतिम दिनों में वे भाषा की समस्या को सुलझाने लगे | उन्होंने हिंदी और उर्दू को एक साथ मिलाने के लिए बहुत भागदौड़ की और इसी भागदौड़ ने इन्हें पहले से ज्यादा बीमार बना दिया | इनके पेट में घाव हो गए थे |
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Taanvi:
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