Hindi, asked by apple4729, 3 months ago

Premdhan ki chhaya smriti nhibhand ka mukya bhav spashat kijiye

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Answered by Anonymous
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प्रेमघन की छाया स्मृति / रामचन्द्र शुक्ल मेरे पिताजी फ़ारसी के अच्छे ज्ञाता और पुरानी हिन्दी कविता के बड़े प्रेमी थे। फ़ारसी कवियों की उक्तियों को हिन्दी कवियों की उक्तियों के साथ मिलाने में उन्हें बड़ा आनन्द आता था। आधुनिक हिन्दी साहित्य में भारतेन्दुजी के नाटक उन्हें बहुत प्रिय थे।

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