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"कश्मीर का प्राकृतिक सौंदर्य अद्वितीय
विभक्ति संबंधी अशुद्धियाँ दूर कर वाक्य दोबारा लिखिए-
करमर से प्राकृतिक सौंदर्य अद्वितीय है।
- व्यावसाय द्वारा भी दोनों जुलाहे ही थे।
वह संतरों को खा रहा है।
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Answer:
चारों ओर बिछी हुई बर्फ की सफेद चादर, देवदार तथा चीड़ के पेड़ों से गिरते बर्फ के टुकड़े सच में यहाँ आने वालों को नई दुनिया का आभास देते हैं। जिधर नजर दौड़ाएँ, बस बर्फ ही बर्फ दिखती है और उस पर दिखते हैं बर्फ के खेलों का आनंद उठाते हुए लोग जो देश के विभिन्न भागों से आते हैं। यह है सर्दियों में जम्मू-कश्मीर के उन पर्यटनस्थलों का नजारा जिन्हें शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता और एक बानगी देखने पर हर शख्स कह उठता है : 'अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है।'
जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल सिर्फ गर्मियों में ही नहीं बल्कि सर्दियों में भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थलों का रोचक तथ्य यह है कि आतंकवाद के दिनों में भी यहाँ आने वालों के कदम कभी ठिठके नहीं थे। अंतर बस इतना आया था कि वे एक पर्यटन स्थल पर नहीं पहुँच पाते तो दूसरे पर चले जाते थे।
अब जबकि वादी बर्फ की चादर ओढ़ चुकी है। चिनार के पेड़ सुर्ख हो चुके हैं। पहाड़ों पर शीन की चमक से लगता है जैसे चाँदी का वर्क डाल दिया गया हो। वादी के इसी नजारे को तो जन्नत कहते हैं और जन्नत का शौक रखने वालों के लिए यही माकूल समय होता है सैर करने का। पिछले कुछ दिनों से शुरू हुआ हिमपात का सिलसिला जारी है।
कुदरत के इस जादू से जम्मू संभाग भी अछूता नहीं। जम्मू के नत्थाटाप में भी हिमपात हो चुका है और पटनीटाप को कोहरे ने अपने लपेटे में ले लिया है। सैर के शौकीन इस मौसम में जम्मू-कश्मीर आएँ तो पता चल जाएगा कि रियासत को क्यों स्वर्ग कहा जाता है।
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राज्य में यूँ तो कई पर्यटन स्थल हैं जहाँ जाने की चाहत हर आने वाले पर्यटक की होती है पर गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम तथा पटनीटाप जाए बिना शायद ही कोई रह पाता हो। इनमें से पहले तीन तो कश्मीर वादी में अलग-अलग दिशाओं में हैं तो चौथा पटनीटाप जम्मू संभाग में कश्मीर की ओर जाते हुए रास्ते में पड़ता है।
सबसे पहले बात करते हैं गुलमर्ग की। यह कश्मीर संभाग के बारामूला जिले में स्थित है। यह श्रीनगर से 57 किलोमीटर की दूरी पर है। यात्री बस से श्रीनगर से गुलमर्ग दो घंटों में पहुँचा जा सकता है। गुलमर्ग में स्कीइंग, गोल्फ कोर्स, विश्व की सबसे ऊँची केबल कार और ट्रैकिंग के अलावा सूफी संत बाबा ऋषि की दरगाह है।
इस साल भी हनीमून मनाने के लिए जोड़े यहाँ आ रहे हैं। दिल्ली से आए जोड़े रंजीव और गीतांजलि ने बताया कि हमने इससे पहले सपने में भी इतनी खूबसूरत जगह नहीं देखी थी और बर्फ तो केवल फिल्मों में ही देखी थी। ऐसा लगता है हम किसी और दुनिया में आ गए हैं। अपने दो छोटे बच्चों के साथ गुजरात से आए मोहन भाई ने बताया कि मुझे पता ही नहीं था कि कश्मीर ऐसा है।
मैंने तो किताबों में ही इसके बारे में पढ़ा था । अब देखने पर अपनी आँखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा है। गुलमर्ग के टीआरसी में कई सालों से काम कर रहे गुलाम हसन लोन ने कहा कि हमने यहाँ पर कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे हैं। उन्होंने कहा कि हमने वह दौर भी देखा है जब मुंबई के लोग यहाँ पर सिनेमा की शूटिंग के लिए आते थे लेकिन बंदूक की आवाज ने उनको इधर आने से रोक दिया लेकिन अब समय बदल रहा है।
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माना की गुलमर्ग कश्मीर आने वालों की जान है तो सोनमर्ग को दिल जरूर कहा जा सकता है। समुद्र तल से 2,730 मीटर की ऊँचाई पर कश्मीर संभाग में स्थित सोनमर्ग सुंदरता के मामले में अपनी मिसाल आप है। सोनमर्ग में राज्य पर्यटन के होटल और हट हैं जिनका किराया चौदह सौ रुपए से शुरू हो जाता है। इसके अलावा वहाँ पर निजी होटलों की भी भरमार है।
श्रीनगर से निजी वाहन सोनमर्ग से आने-जाने के लिए दो से ढाई हजार रुपए वसूल कर लेता है। यहाँ पर घूमने से पहले श्रीनगर में पर्यटन अधिकारी से वहाँ के मौसम की जानकारी जरूर हासिल कर लेनी चाहिए। इसके अतिरिक्त जिला अनंतनाग में स्थित पहलगाम श्रीनगर से लगभग साठ किलोमीटर की दूरी और समुद्र तल से 2,130 मीटर ऊँचा है।
पहलगाम को बॉलीवुड के कारण पहचान मिली है क्योंकि इसके आसपास स्थित अरू वैली तथा बेताव वैली में कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है और अमरनाथ की यात्रा का परंपरागत रास्ता भी यहीं से है। लिद्दर नदी के दोनों ओर बसे पहलगाम की सुंदरता अपनी मिसाल आप है। यहाँ पर घुड़सवारी, ट्रैकिंग, गोल्फ, फिशिंग आदि की पूरी सुविधा है।
इन सबके बीच अगर पटनीटाप की बात न करें तो जम्मू- कश्मीर आने का मकसद शायद ही पूरा हो पाए। जम्मू से 108 किलोमीटर की दूरी पर जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर स्थित यह विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। घने देवदार और चीड़ के पेड़ो से घिरा और समुद्रतल से 2004 मीटर ऊँचा पटनीटाप जमीन पर स्वर्ग का अहसास करवाता है