prepare a 2 min speech on Machini yug vardaan ya abhishaap
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मशीन युग के अनेक लाभ हैं पर उसमें कुछ कमियां भी हैं। उदाहरण के लिए कंप्यूटर एक बहुत ही उपयोगी यंत्र है। कंप्यूटर से मानव जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। उसके कारण सब काम आसान हो गये हैं। तीव्र गति से, परिशुद्धता के साथ काम करना संभव हो गया है। आजकल कंप्यूटर का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है। सब जगह, बैंक, दफ्तर, कॉलेज आदि में कंप्यूटर से सहज रूप से काम किया जाता है।
वह एक मनोरंजन का साधन है। अनेक विडियो, गाने, चलचित्र आदि हमारा मनोरंजन करते हैं। हम ईमेल, फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया द्वारा अपने मित्रों के साथ संपर्क कर सकते हैं। अब सब संसार के लोग एक दूसरे के करीब आ गए हैं। दुनिया के अलग अलग कोनों में रहने वाले लोग जब चाहें एक दूसरे को देख सकते हैं और बात कर सकते हैं।
परन्तु कंप्यूटर एक मजबूरी बन गए हैं। छोटी उम्र में कंप्यूटर का उपयोग करने वाले बच्चे इतने क्रियाशील और फुर्तीले नहीं होंगे। उनका सामान्य जीवन से अधिक संपर्क नहीं होगा क्योंकि वे अपना अधिकांश समय एक यंत्र के साथ बितायेंगे। बच्चे बाहर जाकर अपने मित्रों के साथ खेलने की जगह कंप्यूटर के खेल खेलना पसंद करेंगे। जिससे उनके स्वास्थ्य पर असर हो सकता है। साथ ही वे मित्रता का सुख और ताज़ी हवा के लाभ से वंचित रह जायेंगे।
इसलिए कंप्यूटर कुछ हद तक मनोरंजन का साधन हैं पर लोगों को उनके ऊपर जरुरत से अधिक निर्भर नहीं होना चाहिए।
उसी प्रकार आजकल टेलीफोन हमारे जीवन का एक अटूट अंग बन गया है। उसकी घंटी सुनकर बड़ी खुशी होती है कि कोई हमारा मित्र है जो हमसे बात करना चाहता है। टेलीफोन से दूरियाँ कम हो गयी हैं। हम दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले लोगों से तुरंत संपर्क कर सकते हैं। इमरजेंसी के समय, डॉक्टर अथवा किसी अन्य प्रकार की सहायता प्राप्त करने के लिए टेलीफोन बहुत उपयोगी है।
परन्तु कोई भी चीज़ एक सीमा तक ठीक लगती है। अगर हम किसी से बात नहीं करना चाहते हैं, या एकांत में रहना चाहते हैं तो वह हमारे चैन को भंग करता है। टेलीफोन की हमें इतनी आदत हो जाती है कि हमारा ध्यान हमेशा उसकी ओर आकर्षित रहता है। हम इतनी उत्सुकता से घंटी बजने का इंतज़ार करते रहते हैं कि हमारा किसी और काम में मन नहीं लगता। अगर किसी का फोन नहीं आता है तो हम उदास हो जाते हैं। मित्रों से देर तक बातें करना आदि हमारे लिए अधिक आकर्षक हो जाते हैं और उनके बिना हम रह नहीं पाते हैं। जिससे समय का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं। साथ ही फोन पर खर्च अधिक हो जाता है। इसलिए वह लाभदायक होने के साथ थोड़ा हानिकारक भी हो गया है
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प्रस्तावना- आज का युग विज्ञान का युग है। आज हमें जितनी भी सुख सुविधाएँ प्राप्त हैं, वे सब विज्ञान के कारण हैं। इसने हमारे जीवन में अमृत घोल दिया है। इसलिए यह हमारे लिए वरदान है। पर विज्ञान ने कुछ ऐसे कार्य भी किए हैं, जिनसे मानव जीवन को खतरा पैदा हो गया है। इस दृष्टि से विज्ञान मानव जाति के लिए अभिशाप सिद्ध हो रहा है।Short Hindi Essay on Vigyan Vardan Beeh hai Aur Abhishap Beeh
विज्ञान वरदान- विज्ञान वरदान है। यह उस अलादीन के चिराग के समान है जिससे मनुष्य की सारी आवश्यकताएँ तुरन्त पूरी हो जाती हैं। नित्य नए नए आविष्कार हो रहे हैं। नई नई वस्तुएँ बाजारों में आ रही हैं। ये सारी वस्तुएँ विज्ञान के आविष्कारों का परिणाम हैं। इनसे जीवन में सुख और सुविधाएँ बढ़ रही हैं।
विज्ञान के आविष्कारों के कारण स्थान और समय की दूरी भी समाप्त हो रही है। एक समय था जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए मनुष्य को कई दिन, महीने और कई बार कई कई साल तक लग जाते थे। पर अब दिनों में पूरी होने वाली यात्रा घंटों में पूरी हो जाती हैं। तेज गति से चलने वाले वायुयानों ने देशों की दूरी को समाप्त कर दिया है। टेलीफोन तार बेतार के तार आदि वैज्ञानिक आविष्कारों से विश्व के एक कोने में घटित होने वाली घटनाओं के समाचार मिनटों में विश्व के दूसरे कोने में पहुँच जाते हैं।
बटन युग- विज्ञान युग वास्तव में बटन युग है। बटन दबाइए पंखा आपको हवा करने के लिए तैयार हो जाता है। एक बार फिर बटन दबाइए, आप की आज्ञा का पालन करते हुए पंखा हवा करना बंद कर देता है। आपके बटन दबाने की जरूरत है, बस टी.वी. चल पड़ता है, सुन्दर दृश्य पर्दे पर दिखाई देने लगते हैं, किसी की भी सुरीली आवाज सुनाई देने लगती है। गायक आँखों के सामने प्रत्यक्ष हो जाता है।
जरा सोचिए यह सब विज्ञान के ही तो कारण है। पुस्तकें, समाचार पत्र, रेडियो, मोटर गाडि़याँ विज्ञान के वरदानों के कारण ही तो हैं।
विज्ञान अभिशाप भी है- विज्ञान वरदान है। यह सच है। विज्ञान अभिशाप करके मानव जाति के ध्वंस और विनाश की सामग्री तैयार कर दी है। इस एक आविष्कार ने यह सिद्ध कर दिया है कि विज्ञान अभिशाप है। कारण स्पष्ट है। एक अणु ब मके प्रयोग से लाखों इंसान मौत के मुँह चले जाएँगे। इसका प्रभाव उन तक ही सीमित नहीं रहेगा। आगे आने वाली सन्तानें भी इसके कुप्रभाव से नहीं बच पाएँगी। इतना भयंकर और हानिकारक होगा। इसका दुष्परिणाम। ऐसी हालत में विज्ञान अभिशाप बन कर रह जाएगा।
उपसंहार- सच्चाई तो यह है कि विज्ञान वरदान भी है और अभिशाप भी है। यदि मानव विज्ञान का प्रयोग मानव जाति के हित के लिए करेगा तो यह वरदान सिद्ध होगा। यदि मनुष्य ने इसका प्रयोग मानव के विनाश के लिए किया तो यह मानव मात्र के लिए अभिशाप बन जाएगा। पर इसमें विज्ञान का कोई दोष नहीं। इसमें सब से बड़ा दोष तो मानव का है जो मानव के विनाश के लिए विज्ञान का प्रयोग कर रहा है। अतः विज्ञान का प्रयोग मानव को इस प्रकार करना चाहिए जिससे मानव मात्र का कल्याण हो, विनाश नहीं।