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Explanation:
साबरमती आश्रम भारत के गुजरात राज्य अहमदाबाद जिले के प्रशासनिक केंद्र अहमदाबाद के समीप साबरमती नदी के किनारे स्थित है। सत्याग्रह आश्रम की स्थापना सन् 1915 में अहमदाबाद के कोचरब नामक स्थान में महात्मा गांधी द्वारा हुई थी। सन् 1917 में यह आश्रम साबरमती नदी के किनारे वर्तमान स्थान पर स्थानांतरित हुआ और तब से साबरमती आश्रम कहलाने लगा। आश्रम के वर्तमान स्थल के संबंध में इतिहासकारों का मत है कि पौराणिक दधीचि ऋषि का आश्रम भी यही पर था।
साबरमती आश्रम में स्थित हृदय कुंज
स्थिति
इतिहास
राष्ट्रीय स्मारक
निवास स्थान संपादित करें
बापू जी ने आश्रम में 1915 से 1933 तक निवास किया। जब वे साबरमती में होते थे, तो एक छोटी सी कुटिया में रहते थे जिसे आज भी "ह्रदय-कुंज" कहा जाता है। यह ऐतिहासिक दृष्टि से अमूल्य निधि है जहाँ उनका डेस्क, खादी का कुर्ता, उनके पत्र आदि मौजूद हैं। "ह्रदय-कुंज" के दाईं ओर "नन्दिनी" है। यह इस समय "अतिथि-कक्ष" है जहाँ देश और विदेश से आए हुर अतिथि ठहराए जाते थे। वहीं "विनोबा कुटीर" है जहाँ आचार्य विनोबा भावे ठहरे थे।
यहाँ विभिन्न गतिविधियों के लिए कई कुटीर बनाए गए हैं, जो इस प्रकार हैं:साबरमती आश्रम में स्थित हृदय कुंज
स्थिति
इतिहास
राष्ट्रीय स्मारक
निवास स्थान संपादित करें
बापू जी ने आश्रम में 1915 से 1933 तक निवास किया। जब वे साबरमती में होते थे, तो एक छोटी सी कुटिया में रहते थे जिसे आज भी "ह्रदय-कुंज" कहा जाता है। यह ऐतिहासिक दृष्टि से अमूल्य निधि है जहाँ उनका डेस्क, खादी का कुर्ता, उनके पत्र आदि मौजूद हैं। "ह्रदय-कुंज" के दाईं ओर "नन्दिनी" है। यह इस समय "अतिथि-कक्ष" है जहाँ देश और विदेश से आए हुर अतिथि ठहराए जाते थे। वहीं "विनोबा कुटीर" है जहाँ आचार्य विनोबा भावे ठहरे थे।
यहाँ विभिन्न गतिविधियों के लिए कई कुटीर बनाए गए हैं, जो इस प्रकार हैं:
हृदय कुंज संपादित करें
हृदय कुंज नामक कुटीर आश्रम के बीचो बीच स्थित है, इसका नामकरण काका साहब कालेकर ने किया था। 1919 से 1930 तक का समय गांधी जी ने यहीं बिताया था और उन्होंने यहीं से ऐतिहासिक दांडी यात्रा की शुरुआत की थी।
विनोबा-मीरा कुटीर संपादित करें
इसी आश्रम के एक हिस्से में विनोबा-मीरा कुटीर स्थित है। यह वही जगह है, जहाँ 1918 से 1921 के दौरान आचार्य विनोबा भावे ने अपने जीवन के कुछ महीने बिताए थे। इसके अलावा गांधी जी के आदर्शो से प्रभावित ब्रिटिश युवती मेडलीन स्लेड भी 1925 से 1933 तक यहीं रहीं। गांधी जी ने अपनी इस प्रिय शिष्या का नाम मीरा रखा था। इन्हीं दोनों शख्सीयतों के नाम पर इस कुटीर का नामकरण हुआ।