Hindi, asked by lakshitahuja, 9 months ago

Propkar kisan par kahani par kahani

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Answered by jasbharaj7
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व्याख्या

किसान ने साहूकार से कुआ खरीदा, अगले दिन जब किसान कुएं से पानी ले रहा था तभी साहूकार भी आ गया और बोला- मैंने तुम्हें सिर्फ कुआ बेचा है, उसका पानी नहीं, ये सुनकर किसान के होश उड़ गए, इसके बाद क्या हुआ?

थोड़ी समझदारी से काम लिया जाए तो हर समस्या का समाधान हो सकता है

कहानी

 किसी गांव में एक किसान रहता था। वो खेतों में काम कर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। उसका पूरा परिवार कम पैसों में भी काफी खुश था क्योंकि उनकी जरूरतें बहुत सीमित थीं। एक बार गांव में अकाल पड़ गया। बारिश न होने के कारण फसलें सूखने लगी।

किसान की जमीन से लगी हुई साहूकार की जमीन थी। साहूकार उस जमीन का कुछ भी उपयोग नहीं करता था। साहूकार की जमीन में कुआ भी था, जो किसान की जमीन से काफी करीब था।

एक दिन किसान साहूकार के पास गया और बोला कि- आपकी जमीन में जो कुआ है, वो मुझे बेच दीजिए। इससे मेरी फसल की सिंचाई हो जाएगी और आपको भी थोड़ा फायदा हो जाएगा।

साहूकार लालची आदमी था, पर थोड़ी देर सोचा और एक निश्चित रकम लेकर कुआ किसान को बेच दिया। किसान भी अब बहुत खुश था, ये सोचकर की उसकी फसलें खराब नहीं होंगी।

अगले दिन किसान कुएं पर पहुंचा और उसके पानी से अपने खेतों में सिंचाई करने लगा। तभी वहां साहूकार आ गया और बोला कि- मैंने तु्म्हें सिर्फ कुआ बेचा है, उसका पानी नहीं। अगर तुम्हें कुएं का पानी भी चाहिए तो तु्म्हें मुझे और ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे।

साहूकार के मुंह से ऐसी बात सुनकर किसान सिर पकड़ कर बैठ गया। उसने साहूकार को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो नहीं माना। किसान समझ गया कि साहूकार लालची आदमी है।

थक-हार कर किसान अपने घर आ गया। पत्नी ने जब किसान को उदास देखा तो उसने कारण पूछा। किसान ने सारी बात सच-सच बता दी।

किसान की पत्नी ने कहा कि- कल खेत पर तुम्हारे साथ मैं भी चलूंगी। अगले दिन जब किसान अपनी पत्नी को साथ लेकर खेत पर गया तो साहूकार भी वहीं था।

किसान की पत्नी ने साहूकार से कहा कि- ये बात तो सच है कि आपने हमें सिर्फ कुआ बेचा है, उसका पानी नहीं। तो अब हमें ये पानी नहीं चाहिए। आप अपना पानी कुएं से निकाल लीजिए और हमें सिर्फ कुआ दे दीजिए।

साहूकार ने कहा- ये कैसे संभव है? कुएं में से पानी कैसे निकाला जा सकता है। जितना पानी निकालूंगा, उतना ही पानी दोबारा कुएं में आ जाएगा। ये तो नहीं हो सकता।

किसान की पत्नी ने कहा- तो ठीक है, आपका पानी हमारे कुएं में हैं, आप इसका किराया हमें दे दीजिए

साहूकार समझ गया कि किसान की पत्नी समझदार है और यहां तो फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। क्योंकि कुएं का पानी खत्म होगा नहीं और उसमें ज्यादा पैसा भी खर्च हो जाएगा। ये सोचकर साहूकार ने अपनी गलती मान ली और वहां से चला गया।

जीवन मुल्य

कई बार ऐसा होता है हम किसी समस्या के सामने घुटने टेक देते हैं। हमें लगता है कि इस परेशानी का कोई हल नहीं है, लेकिन ऐसा होता नहीं है। अगर आपके पास उस समस्या का हल नहीं है तो अपने आस-पास के लोगों से सलाह लीजिए। कोई न कोई रास्ता जरूर निकल जाएगा

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