propkar par niband for class 8
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propkar pr nibandh likhana h
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जल पर निबंध
“एक बूँद पानी की कीमत तुम क्या जानो नादान मानव”
सच हमारी नजर में अब तक पानी की कीमत किसी ने जानी तो वह था प्यासा कौआ। दूसरी कक्षा से हमारे मन में उसका चित्र वैसे ही कैद हो गया जैसे उछलती हुई खूबसूरत नदियां, छम छम करते झरने, शोर करती समुद्र की लहरें आपके मन में हो जाती है।
पानी की कीमत कौवे के अतिरिक्त उस सूखे कुंवे ने भी जानी जिसकी पनघट पर कभी स्त्रियों का जमघट लगता था। और उनकी हंसती ठिठोली के साथ उनके घर, प्रेमी, घरवाले सभी के राज अपने पानी में डाल लेता। इससे उसके पानी का स्वाद भी काफी बढ़ जाता। ऐसे मटके में भर भर के ये हंसी ठिठोली व गाँव के रहस्य घर घर में पहुँचते और इस खातिर पूरे गाँव वाले उसकी स्वच्छता का ध्यान रखते।
पानी की कीमत उस सूखे ताल ने जानी जिस में कभी जानवर व बच्चे गोते लगाते। इस तरह खुद भी नहाते और तालाब को भी नहलाते। आते तो बच्चे आज भी हैं किन्तु कचरा डाल के निकल लेते हैं।
पानी की कीमत उस सूखी नदी ने पहचानी जिसके सूखने की वजह से आज उससे निकलने वाली नहरें मुंह फुलाये बैठी है। हां अब सतह पर पड़े पत्थर एक दूसरे का चेहरा साफ़ देख पाने से पार्टी जरूर मनाते हैं वह भी बिना पानी के।
भैय्याजी ये प्रकृति भली भांति पानी की कीमत जानती है। नहीं जानते तो आप और हम। हम 20 रुपये की नल की टोंटी के खातिर 20 हजार रुपये का पानी बहा देते हैं। बस फर्क इतना था वह 20 रूपये हमारी जेब से लगते और 20 हजार रूपये का पानी हम अपना नहीं सरकार का समझते हैं।
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