prthvi par Manav ki utpatti kab hue
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66million year ago
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मानव की उत्पत्ति अभी भी अनबूझा सवाल है। मनुष्य की उत्पत्ति कहाँ शरू हुई थी, कैसे हुई थी, और कैसे विश्व में फैली? इसके आदिपूर्वज (primates) कौन थे? क्या मनुष्य ऐसा ही आदि में था जैसा आज है? ये सवाल अमानव प्राणियों के लिए भी मनुष्य की उत्पत्ति के बराबर महत्व रखते हैं। गाय, घोड़ा, हाथी, कबूतर, चमगादड़, सर्प, मछली कैसे, कब और कहाँ उत्पन्न हुए? हम मनुष्य हैं इसलिए मनुष्य से संबंधित हर जानकारी के लिए जिज्ञासु, व्याकुल व उत्सुक ज्यादा होते हैं। मेरी उत्पत्ति तो मेरे माता-पिता से हुई, माता-पिता की उत्पत्ति उनके माता-पिता से हुई। उनके माता-पिता की उत्पत्ति…..? यह कथन (उत्तर) अनंत है, कभी न समाप्त होने वाला। फिर भी वैज्ञानिक विमर्श करके ठोस समाधान खोजा जा सकता है।
अब तक जीवविज्ञान में यही पढ़ाया गया कि हजारों वर्ष पूर्व आधुनिक मनुष्य आज जैसा नहीं था। लाखों वर्ष में म्यूटेसन द्वारा शारीरिक परिवर्तन के साथ दो या चार पैर पर चलने वाले अन्य स्तनधारी प्राणियों से उसका धीरे-धीरे विकास हुआ। अब सवाल यह है, कि मनुष्य का कोई तो एक माता-पिता होना चाहिए। नहीं होने चाहिए, क्योंकि कोई भी जीव अपने माता-पिता से ही पैदा होते हैं और शारीरिक व मानसिक गुणरूप से एक समान होते हैं। इसका अर्थ है कि लाखों वर्ष में गुण परिवर्तन होने से हमारे आदिपूर्वज अवश्य ही हमारे जैसे नहीं हो सकते हैं।
ब्रह्मा ने सृष्टि के समय स्त्री-परुष (नारी-नर) अपने जंघों को रगड़ कर योगमाया से पैदा किया, जिससे मनुष्य की सन्तति बढ़ी और भारत में विस्तार किया। ब्रह्मा, वैदिक और पौराणिक मनुष्य पूरी दुनिया के बारे में नहीं जानता था, इसलिए भारत की अनुमानित विचारधारा ठप्प हो गई। जबकि यूरोप के वैज्ञानिक मानते हैं कि पहला मनुष्य मात्र 9000 वर्ष पहले था। वहीं ब्रह्मा ने पुत्री सावित्री व सरस्वती को उत्पन्न करके उन्हें जबरन पत्नी बना कर मनुष्य की सन्तति बढ़ाई और हिदुओं ने उन्हें आदिपुरुष मान लिया। अँधेरे में तीर चलाना नहीं तो और क्या है?