Hindi, asked by manju12devi2252, 2 months ago

PTA kigye ki bima kin kin wastuoo Ka hota hai? kaun kaun SE kanpaniya iss chetra Mai Karya Kar rhe hai? jivan bima kya hai ? isse kya kya lav hai?​

Answers

Answered by CHAUDHARYLUCKY
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Explanation:

जीवन बीमा

जीवन बीमा का प्रारंभ भी समुद्री बीमा के प्राय: साथ ही हुआ क्योंकि व्यापारिक यात्रा पर जानेवाले पोतों के मालिकों को जहाँ पोत नष्ट होने की संभावनाओं के विरुद्ध प्रबंध करने की चिंता थी, वहीं उन जहाजों के कप्तानों का जीवन भी उतना ही मूल्यवान था। साथ ही जब कारीगरों के संघों की स्थापना होने लगी और जन्म मृत्यु के लेखे रहने के साथ साथ आयु सीमा के औसत निकालने के नियमों की स्थापना की जा सकी तो जीवन बीमा अनुबंध का भी काफी प्रसार हो सका। लेकिन उस समय के बीमा पत्रों की शर्तें काफी कठिन होती थीं। अमरीकी गृहयुद्ध के पूर्व के जीवन बीमा अनुबंध की शर्तों के अनुसार बीमा पत्र का काई अर्पण मूल्य (Surrender value) नहीं होता था। बीमे पर कोई कर्ज नहीं मिल सकता था। बीमा प्रव्याजि (प्रीमियम) अदा करने के लिए अतिरिक्त समय (Grace period) नहीं मिलता था तथा आत्महत्या, द्वंद्वयुद्ध अथवा समुद्रयात्रा करने पर बीमा अवैध करार दे दिया जाता था।

जीवन बीमा दो व्यक्तियों - बीमा करानेवाले और बीमा करनेवाले - के बीच ऐसा अनुंबंध है जिसके अनुसार बीमा करानेवाला निश्चित अवधि तक सामयिक अदायगियों के बदले एक निश्चित धनराशि प्राप्त करने का वचन लेता है और बीमा करानेवाला उन निर्धारित अदायगियों के बदले एक निश्चित रकम निश्चित समय पर अदा करने का वचन देता है। अन्य प्रकार के बीमा अनुंबंधों और जीवन बीमा अनुबंध का अंतर यही है कि यह केवल मानव जीवन से संबंधित है और बीमा अनुबंध का प्रकार अथवा रूप कुछ भी हो उसमें मूल शर्त यही होती है कि अनुबंध के चालू रहने के काल में यदि बीमा करानेवाले की मृत्यु हो जाएगी तो बीमा करनेवाला बीमापत्र पर लिखित धनराशि अदा करेगा। मृत्यु का कारण केवल दो स्थितियों में ही इस अनुबंध को समाप्त कर सकता है।

जीवन बीमा में मिलनेवाली धनराशि बीमा करनेवाले पर कर्ज माना गया है। इसलिए संपत्ति-हस्तांतरण-विधि (T.P.A.) की धारा तीन के अंतर्गत यह "संपत्ति" की श्रेणी में आ जाता है तथा उक्त विधि की धारा 130 के अनुसार इसका हस्तांतरण किया जा सकता था। अब जीवन बीमा की धनराशि के हस्तांतरण की व्यवस्था बीमा विधि की धारा 38 व 39 में की गई है। उक्त धनराशि का हस्तांतरण अभिहस्तांकन (assignment) द्वारा भी किया सकता है (धारा 38) और नामांकन (nomination) द्वारा भी (39)। अभिहस्तांकन में बीमा करानेवाला उस बीमा अनुबंध से उत्पन्न अपन अधिकारों एवं हितों को दूसरे को हस्तांतरित कर देता है। नामांकन का अर्थ केवल यह है कि बीमा करानेवाले की मृत्यु पर यदि नामांकित व्यक्ति जीवित हो तो बीमे की धनराशि उसे उपलब्ध हो जाए। नामांकन बिना सूचना के बदला जा सकता है। यदि नामांकित व्यक्ति की मृत्यु पहले हो जाए तो बीमा करानेवाले को ही धनराशि पाने का अधिकार पुन: प्राप्त हो जाता है। अभिहस्तांकन में ऐसा नहीं है। यदि एक बार बीमा अनुबंध के अधिकार अभिहस्तांकित कर दिए गए तो उसकी पूर्व अनुमति के बिना दूसरा अभिहस्तांकन नहीं किया जा सकता। यदि बीमा करानेवाले के पहले अभिहस्तांकित की मृत्यु हो जाए तो वे अधिकार बीमा करानेवाले को वापस नहीं मिलते वरन् उस मृत व्यक्ति के उत्तराधिकारियों को उपलब्ध हो जाते हैं

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