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(गद्य विभाग)
प्रश्न : अ) निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
'बकवास मत करो ! दिन भर सड़कों पर मटरगश्ती करते फिरते हो,अपने कपड़े खुद नहीं धो सकते ?'
"हूँऽऽ!' मैं गुन्नाता हुआ ढीठ सा अंदर आ जाता हूँ | मन तो करता हैं कि उनपर जवाबों के तीर चलाऊँ
पर जानता हूँ - परिणाम वही होगा,उनका दहाड़ना-गरजना, मेरा कई - कई घंटों के लिए घर से गायब हो जाना
और हफ्तों हम पिता-पुत्र का एक दूसरे की नजरों से बचना,सामना पड़ने पर मेरा ढिठाई से गुजर जाना,माँ का
रोना-धोना और पूर्व कर्मो को दोष देते हुए लगातार बिसूरते चले जाना |
ठीक-ठीक याद नहीं आता कि यह सिलसिला कब से और कैसे शुरू हुआ | मैंने तो अपने आपको जब से
जाना,ऐसा ही विद्रोही,उदंड और ढीठ | बचपन मेरे लिए बिलकुल एक शहद के प्याले जैसा ही था जिसे होंठों से
लगाते-लगाते ही पिता की महत्वाकांक्षा का जहर उस प्याले में घुल गया था |
अभी भी वह दिन याद आता है, जब माँ ने बाल सवारें,किताबों का नया बैग मेरे कंधों पर लटका, मुझे
पिता जी के साथ साइकिल पर बिठाकर स्कूल भेजा था |पिता जी तमाम दौड़-धूप कर मुझे कान्वेन्ट में दाखिला
करा पाने में सफल हो गए थे।
१) संजाल पूर्ण कीजिए:
(०२)
लेखक पिता को जवाब देता तो यह होता
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Answer:
1.पिताजी का दहाड़ना-गरजना|
2.लेखक का कई - कई घंटों के लिए घर से गायब हो जाना |
3.हफ्तों तक पिता-पुत्र का एक दूसरे की नजरों से बचना सामना पड़ने पर लेखक का ढिठाई से गुजर जाना |
4.माँ का रोना-धोना और पूर्व कर्मो को दोष देते हुए लगातार बिसूरते चले जाना |
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