purv Udyogi Karan ka Arth bataiye
aditya6927:
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औद्योगीकरण का युग
पूर्व औद्योगीकरण
यूरोप में सबसे पहले कारखाने लगने के पहले के काल को पूर्व औद्योगीकरण का काल कहते हैं। इस अवधि में शहर के व्यापारी गाँवों में बने हुए सामान खरीदते थे।
व्यापारियों का गाँवों पर ध्यान देने का कारण: शहरों में जो ट्रेड और क्राफ्ट गिल्ड होते थे वे काफी शक्तिशाली होते थे। इस तरह के संगठन प्रतिस्पर्धा और कीमतों पर अपना नियंत्रण रखते थे और नये लोगों को बाजार में काम शुरु करने से भी रोकते थे। इसलिए व्यापारियों के लिए शहरों में नया व्यवसाय शुरु करना मुश्किल होता था। इसलिए वे शहरों की बजाय गाँवों पर ज्यादा ध्यान देते थे।
ब्रिटेन में पूर्व औद्योगीकरण के लक्षण:
गाँवों के किसानों को व्यापारियों द्वारा पैसे दिये जाते थे। वे उन किसानों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए उत्पाद बनाने के लिए प्रोत्साहित करते थे।गाँवों में जमीन की कमी होती जा रही थी। बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरतें जमीन के छोटे टुकड़ों से पूरी नहीं होती थी। किसानो आय के अतिरिक्त साधनों की तलाश में रहते थे।पूर्व औद्योगीकरण के समय एक प्रकार से विनिमयों का जाल फैला हुआ था; जिसे व्यापारी लोग नियंत्रित करते थे। सामान का उत्पादन वैसे किसानों द्वारा किया जाता था जो कारखानों की बजाय अपने खेतों में काम करते थे। अंतिम उत्पाद कई चरणों से गुजरता हुआ लंदन के बाजारों तक पहुँचता था। लंदन से इन उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भेजा जाता था।
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यूरोप में सबसे पहले कारखाने लगने के पहले के काल को पूर्व औद्योगीकरण का काल कहते हैं। इस अवधि में शहर के व्यापारी गाँवों में बने हुए सामान खरीदते थे।
व्यापारियों का गाँवों पर ध्यान देने का कारण: शहरों में जो ट्रेड और क्राफ्ट गिल्ड होते थे वे काफी शक्तिशाली होते थे। इस तरह के संगठन प्रतिस्पर्धा और कीमतों पर अपना नियंत्रण रखते थे और नये लोगों को बाजार में काम शुरु करने से भी रोकते थे। इसलिए व्यापारियों के लिए शहरों में नया व्यवसाय शुरु करना मुश्किल होता था। इसलिए वे शहरों की बजाय गाँवों पर ज्यादा ध्यान देते थे।
ब्रिटेन में पूर्व औद्योगीकरण के लक्षण:
गाँवों के किसानों को व्यापारियों द्वारा पैसे दिये जाते थे। वे उन किसानों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए उत्पाद बनाने के लिए प्रोत्साहित करते थे।गाँवों में जमीन की कमी होती जा रही थी। बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरतें जमीन के छोटे टुकड़ों से पूरी नहीं होती थी। किसानो आय के अतिरिक्त साधनों की तलाश में रहते थे।पूर्व औद्योगीकरण के समय एक प्रकार से विनिमयों का जाल फैला हुआ था; जिसे व्यापारी लोग नियंत्रित करते थे। सामान का उत्पादन वैसे किसानों द्वारा किया जाता था जो कारखानों की बजाय अपने खेतों में काम करते थे। अंतिम उत्पाद कई चरणों से गुजरता हुआ लंदन के बाजारों तक पहुँचता था। लंदन से इन उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भेजा जाता था।
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