Hindi, asked by Priag228, 1 year ago

Pushp ki Abhilasha Madhyam se Kavi kya karna chahta hai


Anonymous: ___k off

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Answered by Shivansh1mishra
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चाह नहीं मैं सुरबाला के

गहनों में गूँथा जाऊँ,

चाह नहीं, प्रेमी-माला में

बिंध प्यारी को ललचाऊँ,

चाह नहीं, सम्राटों के शव

पर हे हरि, डाला जाऊँ,

चाह नहीं, देवों के सिर पर

चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ।

मुझे तोड़ लेना वनमाली!

उस पथ पर देना तुम फेंक,

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने

जिस पर जावें वीर अनेक…

pushp ki abhilasha

वाकई बहुत ही जीवंत कविता लिखी है माखनलाल चतुर्वेदी जी ने। सही कहा गया है कि जहाँ ना पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि… देशभक्तों को समर्पित ये कविता अपने अंदर एक गहरा सन्देश छुपाए हुए है।

माखनलाल चतुर्वेदी जी इस कविता में बताते हैं कि जब माली अपने बगीचे से फूल तोड़ने जाता है तो जब माली फूल से पूछता है कि तुम कहाँ जाना चाहते हो? माला बनना चाहते हो या भगवान के चरणों में चढ़ाया जाना चाहते हो तो इस पर फूल कहता है –

मेरी इच्छा ये नहीं कि मैं किसी सूंदर स्त्री के बालों का गजरा बनूँ

मुझे चाह नहीं कि मैं दो प्रेमियों के लिए माला बनूँ

मुझे ये भी चाह नहीं कि किसी राजा के शव पे मुझे चढ़ाया जाये

मुझे चाह नहीं कि मुझे भगवान पर चढ़ाया जाये और मैं अपने आपको भागयशाली मानूं

हे वनमाली तुम मुझे तोड़कर उस राह में फेंक देना जहाँ शूरवीर मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना शीश चढाने जा रहे हों। मैं उन शूरवीरों के पैरों तले आकर खुद पर गर्व महसूस करूँगा।

ये कविता काफी लोगों ने हिंदी की किताबों में भी पढ़ी होगी लेकिन इसे पढ़कर रोम रोम खिल उठता है और एक देशभक्ति की भावना दिल में आती है। आपको ये कविता कैसी लगी ये कमेंट करके हमें जरूर बताएं,, धन्यवाद

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Shivansh1mishra: please mark it brainliest answer please
Shivansh1mishra: oh sry.. yeah
Answered by Anonymous
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matrabhumi ka rakshak ko mahtwa

data huwa kavi kahta hai ki pushup

ki bhi yahi chahat hai ki wo na to

kisi wiwah mahotsav ma estmal ho na hi kisi ki war malla ma pushup ki yahi chat hai ki wo matrabhumi ki pairo ka nicha raha.


Shivansh1mishra: thankd
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