Hindi, asked by chethanashetty, 9 months ago

Pustak Mela ke bare mein Chitr lekhan​

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Answered by ritish2007
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Answer:

लेकिन पुस्तक के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है पुस्तक को एक बार खरीदने के बाद कभी भी कोई खर्चा नहीं करना पड़ता है और इनका इस्तेमाल पीढ़ी-दर-पीढ़ी किया जा सकता है. वर्तमान के टेक्नोलॉजी भरे युग में किताबों का अस्तित्व कहीं खोता जा रहा है इसलिए इनके प्रचार प्रसार कि अब बहुत अधिक जरूरत है.

पुस्तकों के प्रचार-प्रसार में पुस्तक मेला बहुत ही अहम भूमिका निभाता है. हमारे जयपुर शहर में पिछले सप्ताह पुस्तक मेले का आयोजन हुआ था. इस आयोजन के बारे में हमें समाचार पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से पता चला था. बचपन से ही मुझे पुस्तकें पढ़ने का बहुत पसंद है इसलिए मुझे इस मेले में जाने की बहुत इच्छा हुई इसलिए मैंने और मेरे मित्रों ने इस मेले में जाने की योजना बनाई.

लेकिन जब मैंने इस बारे में पिता जी से बात की तो पिताजी ने अकेले मेले में जाने से मुझे मना कर दिया लेकिन उन्होंने कहा कि हम सब साथ में पुस्तक मेला देखने जाएंगे तुम अपने दोस्तों को भी बुला सकते हो. यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई.

दूसरा दिन यह दिन रविवार का था इस दिन सभी विद्यालय वह कार्यालय की छुट्टी होती है इसलिए मेरा पूरा परिवार और मेरे दोस्त पुस्तक मेला देखने के लिए चले गए. हम सुबह करीब 10:00 बजे पुस्तक मेले के प्रांगण में पहुंचे. इस मेले का आयोजन बहुत ही बड़ी जगह में किया गया था यहां पर करीब 300 से अधिक पुस्तकों की दुकानें थी जिन में भिन्न-भिन्न प्रकार की पुस्तकें बिक्री के लिए रखी हुई थी.

रविवार का दिन होने के कारण पुस्तक मेले में बहुत ही अधिक चहल पहल थी. मैंने इससे पहले पुस्तकों की इतनी दुकानें नहीं देखी थी इतनी सारी पुस्तके देखकर मेरा मन फूला नहीं समा रहा था. हम बारी-बारी सभी दुकानों पर जाकर पुस्तकें देखने लगे. इन दुकानों पर साहित्य, इतिहास, भूगोल, धर्म, भाषा, विज्ञान, सामान्य जान, कहानियों ,कविताओं एवं अन्य विषयों की पुस्तकें उपलब्ध थी.

इन दुकानों पर बहुत ही ज्ञानवर्धक पुस्तकें रखी हुई थी लेकिन मुझे विज्ञान विषय में बहुत अधिक रुचि थी इसलिए मैंने दो किताबें विज्ञान विषय पर खरीदी थी और मेरे दोस्तों ने सामान्य ज्ञान और कहानियों की किताब खरीदी थी. मेरी बहन को कलात्मक वस्तुएं बहुत अधिक पसंद है

इसलिए उन्होंने कलात्मक विषय से संबंधित पुस्तकें खरीदी थी. मेरे पिताजी को शुरू में कोई भी किताब पसंद नहीं आ रही थी क्योंकि उनकी रुचि आध्यात्मिक विषय पर थी इसलिए बहुत सी दुकानों पर जाने के बाद एक दुकान में उन्हें उनकी मनपसंद पुस्तक “गीता” मिल गई. इससे वह बहुत अधिक प्रसन्न हो गए.

इस पुस्तक मेले में कुछ रोचक कहानियों की किताबों पर 50% तक छूट मिल गई थी इसलिए मैंने कुछ कहानियों की पुस्तकें भी खरीद ली. पुस्तक मेले में चारों चहल पहल थी कुछ लोग यहां पर ऐसे ही घूमने आए हुए थे वही कुछ लोग पुस्तकें देखने में मसगुल थे.

पुस्तक मेला बहुत ही बड़े मैदान में लगा हुआ था इसलिए हम घूमते-घूमते थक गए थे. उस पुस्तक मेले में कुछ चाय, चाट ओर आइसक्रीम की दुकानें भी लगी हुई थी. यह देख हम अपने पिताजी को आइसक्रीम हो चाट खिलाने को कहा. पिताजी ने दुकान वाले को हम सभी को आइसक्रीम और समोसे खिलाने को कहा.

क्योंकि हम बहुत ही थके हुए और भूखे थे इसलिए मैं आइसक्रीम और समोसे बहुत ही अच्छे लगे. वहां पर मनोरंजन के लिए छोटे झूले भी लगे हुए थे हमने उन लोगों पर झूलकर बहुत आनंद उठाया. पुस्तक मूल्य पुस्तक मेले में हमने घूमकर बहुत आनंद उठाया और साथ ही शिक्षाप्रद उसके भी खरीदी. इतना घूमने के बाद शाम हो चुकी थी और हम सभी बहुत थक चुके थे इसलिए हम शाम को घर चले आए थे.

जो किताबें हमने पुस्तक मेले से खरीदी थी वह हमारे बहुत काम आई मेरे विज्ञान की परीक्षा में कुछ प्रश्न उन किताबों में से भी आए थे. इस पुस्तक मेले की यादें हमेशा मेरे मन में एक अच्छी याद बनकर रहेंगी.

मैं अंत में सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि पुस्तक हमारी सच्ची मित्र होती हैं इनसे हमें हमेशा ही ज्ञानवर्धक और शिक्षाप्रद जानकारी मिलती रहती है इसलिए कभी भी किसी भी पुस्तक को फेंकना या फाड़ना नहीं चाहिए क्योंकि इनमें ज्ञान सदैव बना रहता है यह अगर आज हमारे काम की नहीं है तो हमें किसी अन्य जरूरतमंद व्यक्ति को दे देनी चाहिए जिसकी सहायता से मैं भी ज्ञान प्राप्त कर सके.

Answered by Anjalmaheshwari
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Answer:

भारत मेलों का देश है जहाँ पर हर महीने कही न कहीं मेले लगते रहते है। किसी भी स्थान पर बहुत से लोगों का किसी सांस्कृतिक या व्यापारिक कार्य के लिए एकत्रित होना मेला कहलाता है। कुछ मेले धार्मिक कार्यक्रमों के लिए भी लगाए जाते हैं। मेले व्यक्ति को उसकी दैनिक दिनचर्या से राहत दिला कर आनंद प्राप्त करवाते हैं। बच्चों के लिए मेले मनोरंजन का बहुत ही अच्छा स्त्रोत है। भारत में सबसे बड़ा मेला कुंभ का मेला लगता है जो कि एक धार्मिक मेला है। व्यापारिक मेले समान, पशु आदि बेचने के लिए लगाए जाते हें। मेले जब भी लगते हैं पूरे वातावरण को खुशी से भर जाते हैं।

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