Pustak meri Priya Sathi per anuchchhed
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परिचय:
पुस्तक हमारे जीवन के आधार होते हैं और हर व्यक्ति को जीवन के किसी न किसी मोड़ पर इनको साथी आवश्य बनाना पड़ता है। पुस्तक हमारे सच्चे दोस्त होते हैं जिनके रहते जीवन को एक सही दिशा मिलती है। कभी-कभी तो ये हमारे पक्के दोस्त भी होते हैं, जो हमे वर्णमाला से लेक कर जीवन के कठिन सवालों तक के जवाब बड़े आसानी से दे देते हैं।
पुस्तकों का जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव:
पुस्तकें ज्ञान का भंडार होते हैं और इनका साथ आपे जीवन में कई परिवर्तन ला सकता है। बच्चों के लिये उनसे संबंधित, बड़ो के लिये उनसे संबंधित। एक पुस्तक कभी आपको धोका नहीं देता और सदैव आपके ज्ञान को बढाता ही है।आप इसमें रोचक कहानियां, देश दुनिया में होने वाली गतिविधियाँ, कुछ नया सीखने का तरीका, आदि आसानी से सीख सकते हैं। पुस्तक पढ़ना एक अच्छी आदत है और हम सबको इन्हें अवश्य पढ़ना चाहिए।
हमारे इतिहास में कई महापुरुष रहे हैं और उनके वक्तव्य और ज्ञान भरी बातों को हम आसानी से पुस्तकों में पढ़ सकते हैं। जैसे की गांधीजी, जो भले आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी विचार धारा अभी भी जिन्दा है।
निष्कर्ष:
पुस्तकों की उपयोगिता हमारे जीवन में बहुत अधिक है, वे हर क्षेत्र में हमरा मार्गदर्शन करती हैं और बदले में हमसे कुछ लेती भी नहीं है। तो क्यों न इन्हें ही अपना साथी बना लिया जाये। पहले के ज़माने में पुस्तक नहीं हुआ करते थे और गुरूजी बच्चों को सब कंठस्थ कराया करते थे। परंतु पुस्तक के आविष्कार के बाद लोग पुस्तकों के माध्यम से ज्ञान का हस्तांतरण एक युग से दुसरे युग में करने लगे। पुस्तकों के आविष्कार के कारण ही हम अपने इतिहास को जान पाए। शायद शब्द कम पड़ जाएँ लेकिन उनकी उपयोगिता कम नही होगी।
पुस्तकें हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं । वे समय-समय पर एक अच्छे मित्र व गुरु की भूमिका अदा करती हैं । किसी व्यक्ति को जीवन में सफलता दिलाने में इनका बहुत बड़ा योगदान होता है ।
पुस्तकें हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं । वे समय-समय पर एक अच्छे मित्र व गुरु की भूमिका अदा करती हैं । किसी व्यक्ति को जीवन में सफलता दिलाने में इनका बहुत बड़ा योगदान होता है ।लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने सच ही कहा है कि ”मैं नरक में भी उत्तम पुस्तकों का आदर करूँगा क्योंकि इनमें वह शक्ति है जो नर्क में भी स्वर्ग का सुख प्रदान कर सकती है । वैसे तो मैंने अब तक अनेक पुस्तकें पढ़ी हैं परंतु इन सब मैं गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरित-मानस’ ने मुझे अत्यधिक प्रभावित किया है ।”