Pustakalaya ka sadupyog ke upar essay
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पुस्तकालय और उसका सदूपयोग!
पुस्तकालय-ज्ञान के मंदिर – पुस्तकालय ज्ञान के मंदिर हैं | उन्नति के सभी सूत्र पुस्तकालयों में रखी पुस्तकों में सुरक्षित हैं | कोई भी विकासेच्छु मनुष्य इनकी सहायता से मनवांछित उन्नति कर सकता है |
आधुनिक पुस्तकालय – आधुनिक पुस्तकालय बड़े व्यवस्थित होते हैं | इनमें लाखों की संख्या में पुस्तकें संग्रहित होती हैं | सैंकड़ों पत्र-प्त्र्कायों आती हैं | आजकल इलेक्ट्रॉनिक साधन भी उपलब्ध होते हैं | अनगिनत सुविधाओं वाले ये बड़े-बड़े पुस्तकालय पूरी तरह व्यवस्थित होते हैं | ये सारी पुस्तकें विषयानुसार अलग-अलग अल्मारियों में राखी जाती हैं |
उपयोग कैसे करें – विद्यार्थियों को आरंभ से ही पुस्तकालय का उपयोग करना सीखना चाहिए | उन्हें चाहिए कि वे पुस्तकालय की नियम-व्व्स्था को भली-भांति जान लें और उसे बनाय रखने का दृढ़ संकल्प कर लें |
पुस्तकालय के नियम – हर पुस्तकालय के अपने-अपने नियम होते हैं | कुछ पुस्तकाय 15 दिनों के लिए पुस्तक देते हैं, कुछ एक सप्ताह या कुछ अधिक समय के लिए | छात्रों को चाहिए कि वे समय पर पुस्तक वापस करें | कोई अन्य छात्र उसी पुस्तक की तलाश में होगा – यह सोचकर य्थाशिघ्र पुस्तक वापस करें |
अच्छा विद्यार्थी पुस्तक को सँभाल कर रखता है | उस पर किसी प्रकार का निशान नहीं लगाता | पुस्तकायल की पुस्तक सबकी संपति है | उस पर किसी भी छात्र को व्यक्तिगत टिप्पणी करने का या निशान लगाने का कोई अधिकार नहीं है |
कुछ छात्र पुस्तकों में से चित्र या पन्ने फाड़ लेते हैं | यह पाप है | कुछ पुस्तकें दुर्लभ होती हैं | उनकी एक ही प्रति उपलब्ध होती है | अतः उसे अपने पाप रख लेना सामाजिक संपति की चोरी करने जैसा है |
मौन और शांत व्यवहार – पुस्तकालय और मंदिर में प्रवेश करना एक समान मानना चाहिए | पुस्तकालय में किसी प्रकार का शोर नहीं करना चाहिए | जोर-जोर से बोलने की आदत को बहार ही छोड़ आना चाहिए | इसी गरिमामय व्यवहार से ही पुस्तकालय का सदूपयोग किया जा सकता है |
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