( । PXERCISE 39. किसी ने खूब कहा है कि व्यक्ति का भाग्य काफी हद तक उसके परिश्रम और चरित्र पर निर्भर करता है। यह बात तो सत्य ही है कि कोई भी व्यक्ति महान नहीं बन सकता यदि वह परिश्रम से जी चुराता है और यदि उसमें चरित्र की कमी है। इसी प्रकार कोई भी राष्ट्र महान नहीं बन सकेगा यदि उसके निवासी आलसी हैं अथवा उनका चरित्र उत्कृष्ट नहीं है। परिश्रम और चरित्र एक नींव के समान है जिस पर सफलता और महानता के भवन का निर्माण होता है। यदि नींव कमजोर है तो क्या कोई मजबूत और टिकाऊ भवन उस पर बनाया जा सकता है? क्या हमारा पर्वत पर चढ़ना सम्भव है यदि हमारे पैरों के नीचे की धरती खिसक रही हो?
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किसी ने खूब कहा है कि व्यक्ति का भाग्य काफी हद तक उसके परिश्रम और चरित्र पर निर्भर करता है। यह बात तो सत्य ही है कि कोई भी व्यक्ति महान नहीं बन सकता यदि वह परिश्रम से जी चुराता है और यदि उसमें चरित्र की कमी है। इसी प्रकार कोई भी राष्ट्र महान नहीं बन सकेगा यदि उसके निवासी आलसी हैं अथवा उनका चरित्र उत्कृष्ट नहीं है। परिश्रम और चरित्र एक नींव के समान है जिस पर सफलता और महानता के भवन का निर्माण होता है। यदि नींव कमजोर है तो क्या कोई मजबूत और टिकाऊ भवन उस पर बनाया जा सकता है? क्या हमारा पर्वत पर चढ़ना सम्भव है यदि हमारे पैरों के नीचे की धरती खिसक रही हो?
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