Q.1
भावातीत चेतना की विस्तृत मीमांसा कीजिए।
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Answer:
भावातीत चेतना की विस्तृत मीमांसा कीजिए।
भावातीत चेतना जिसे हम भावातीत ध्यान के नाम से भी जानते हैं, यह एक विशेष प्रकार के ध्यान की अवस्था है। भावातीत ध्यान में एक विशेष मंत्र के उच्चारण द्वारा अपना आंतरिक शोधन किया जाता है और आंतरिक शोधन से हमारे अंदर के सारे विकार और अवगुण मिट जाती हैं। जब हमारे आंशिक शोधन हो जाता है तो हमें आत्मसाक्षात्कार होता है, जिससे ना केवल हमें अलौकिक आनंद की प्राप्ति होती है बल्कि असीम शांति भी मिलती है।
भावातीत ध्यान की अवस्था में भाव से परे पहुंचकर ब्रह्मांड में विचरण किया जाता है और उस आलौकिक ज्ञान की प्राप्ति होना सहज व सरल हो जाता है जो हमें हजारों किताबें पढ़कर भी नहीं मिल सकता। आत्मा से परमात्मा का सहज साक्षात्कार भावातीत ज्ञान के माध्यम से ही हो सकता है।
भावातीत ध्यान मानव जीवन के लिए एक अलौकिक वरदान के समान ही है। इस तरह की ज्ञान पद्धति को अपनाकर अपने जीवन की तमाम रोग व मनोविकारों से पूरी तरह छुटकारा पाया जा सकता है। भावातीत ध्यान अनिद्रा जैसे विकार के निवारण के लिए एक अचूक औषधि के समान है और भावातीत ध्यान के माध्यम से सर्वोत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति की जा सकती है। भावातीत ध्यान हमारे तन-मन को स्वस्थ और सुदृढ़ बनाता है, जिससे हमारे तन मन में कोई भी रोग या विकार नहीं उत्पन्न होते।
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