Hindi, asked by SHADHIYATP6972, 1 day ago

Q.1 हिन्दीकाव्य साहित्य मेंअज्ञेय को योगदान पर विस्तार से उल्लेख कीजिए।

Answers

Answered by 46sidrahsiddiqui
3

Answer:

हिन्दी काव्य साहित्य में अशेय के योगदान सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' के नाम से साहित्य-जगत में प्रतिष्ठित हुए

अज्ञेय " जी का जन्म 7 मार्च 1911 को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के कसया (कुशीनगर) नामक ऐतिहासिक स्थान में हुआ था। इनका बचपन अधिकतर पिता के साथ श्रीनगर, लाहौर, पटना, नालंदा, लखनऊ, मद्रास, उटकमंड आदि बहुत से स्थानों में बीता।

शिक्षा इनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा विद्वान पिता की देख-रेख में घर पर ही संस्कृत, फारसी, अँग्रेज़ी

और बँगला भाषा व साहित्य के अध्ययन के साथ हुई। अज्ञेय जी ने 1925 में पंजाब से एंट्रेंस, मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से विज्ञान में इंटर तथा 1929 में लाहौर के फॉरमन कॉलेज से बी एस सी की परीक्षा पास की। अंगरेज़ी विषय में एम.ए. पढाई करते समय दिल्ली षडयंत्र केस तथा अन्य अभियोग के सिलसिले में वे भूमिगत हुए पर बाद में पकड़े गए और दो वर्ष तक नज़रबंद रहे।

इन्होंने किसान आंदोलन में भी सक्रिय रूप सेभाग लिया. "अज्ञेय "जी को सैनिक पत्रिका और पुनः कलकत्ता से निकलने वाले विशाल भारत' के संपादन का दायित्व द्वितीय विश्वयुद्ध के समय इन्हें कुछ दिनों तक असम और बर्मा के मोर्चों पर भी रहना पड़ा। इसके बाद 1947 में इलाहाबाद से प्रतीक' नामक पत्रिका का सम्पादन शुरु किया। अध्यापन के सिलसिले में अज्ञेय जी विदेश गए

इन्हें " लिफोर्निया विश्वविद्यालय में भारतीय संकृति और साहित्य के अध्यापक के रूप में

नियुक्ति मिली। यहां से इन्होंने पूरे अमेरिका का भ्रमण किया। 1965 में इन्हें हिन्दी के प्रसिद्ध पत्र 'दिनमान’ का संपादक नियुक्त किया गया। कुछ समय तक इन्होंने जोधपुर विश्वविद्यालय में हिंदी के निदेशक पद पर भी कार्य किया। इस प्रकार साहित्य के साथ ‘अज्ञेय' जी ने हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

अज्ञेय एक सफल कवि, उपन्यासकार,कहानीकार और आलोचक रहे हैं। इन सभी क्षेत्रों में वे शीर्षस्थ भी थे। छायावाद और रहस्यवाद के युग के बाद हिन्दी - कविता को नई दिशा देने में अज्ञेय जी का सबसे बड़ा हाथ है। हिन्दी के अनेक नए कवियों के लिए अज्ञेय जी प्रेरणा-स्रोत और मार्ग-दर्शक रहे हैं। सैनिक सेवा और किसान आंदोलन से जुड़े रहकर भी वे सामान्य जनजीवन के साथ अपने को जोड़ नहीं पाए। उनके प्रथम काव्य-संग्रह 'भग्नदूत' में प्रणय की अतृप्त आकांक्षा भविष्य की 'अंधेरे की चिंताएं बनकर प्रकट हुई है।

Similar questions