Hindi, asked by yadavbeerpal776, 6 months ago

Q.2 भारत और बांग्लादेश संबंधों की समीक्षा कीजिए।
Review the relationship between India and Bangladesh.​

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Answered by Anonymous
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Answer:

भारत और बांग्लादेश का संबंध संभवतः इस महाद्वीप का सबसे जटिल द्विपक्षीय रिश्ता है। 1971 में बांग्लादेश की आजादी में भूमिका निभाने के बावजूद वहां यह माना जाता है कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ अपना हित साध रहा है। 1972 में शांति एवं दोस्ती की संधि पर हस्ताक्षर करने के बावजूद दोनों देशों ने अपने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। नतीजतन दशकों पुराने भूमि, जल, अवैध प्रवास और सीमा सुरक्षा से संबंधित मुद्दे अब भी लटके पड़े हैं, जबकि बांग्लादेश अपने परिधान उत्पादों के व्यापक निर्यात के लिए भारत के बाजारों में अनुकूल पहुंच चाहता है।

जब 2015 में भूमि सीमा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, तो इसे ऐतिहासिक सफलता और द्विपक्षीय रिश्तों में नया मोड़ बताया गया। हालांकि अब भी आशंका है कि भूमि सीमा समझौता अल्पजीवी होकर न रह जाए, क्योंकि इसके अन्य मुद्दों को सुलझाने की दिशा में बहुत कम प्रगति हुई है। भूमि हस्तांतरण की बाधाओं को खत्म कर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह जून, 2015 को 1974 के भूमि सीमा समझौते की बहाली और उसके 2011 के प्रोटोकॉल से संबंधित दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया। लेकिन फिलहाल, दोनों देशों के रिश्ते कठिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। मसलन, भारत ने बांग्लादेश से लगी सीमा पर कांटेदार बाड़ लगाई हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के मुताबिक, दो पड़ोसी देशों के बीच 150 यार्ड्स भूमि नो-मैन्स लैंड के रूप में छोड़ी जानी चाहिए। इसके अलावा दोनों देशों के बीच नदी जल बंटवारा भी विवादास्पद बना हुआ है। सीमा पर अक्सर तस्कर या अपराधी मानकर बांग्लादेशियों की सीमा सुरक्षा बल द्वारा हत्या को भी बांग्लादेश के आम लोग अच्छा नहीं मानते हैं।

फिर भी दोनों देशों के बीच पुराने संबंधों को दुरुस्त करने के लिए अभी पहले से बेहतर संभावनाएं हैं। शेख हसीना सरकार को भारत का भरोसेमंद सहयोगी माना जाता है। आंकड़े बताते हैं कि जब भी ढाका में हसीना की सरकार रही, भारत के साथ उसके रिश्ते बहुत अच्छे रहे हैं। 1996 में गंगा जल संधि और 1997 में चकमा और अन्य पहाड़ी समूहों की स्वदेश वापसी इसके दो महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।

बांग्लादेश की अवामी लीग सरकार काफी रियायतें देने वाली मानी जाती है। भारत इस सरकार से ज्यादा लाभ ले सकता है, जबकि मौजूदा सरकार की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी को भारत विरोधी माना जाता है। यानी हसीना सरकार में द्विपक्षीय संबंध और बेहतर हो सकता है, लेकिन दोनों देशों के रिश्तों में यह पूरी तरह से परिलक्षित नहीं होता है। हसीना-भारत रिश्तों को बांग्लादेश में हाल तक संदेह की नजर से देखा जाता रहा है। यह सिर्फ इसलिए नहीं कि हसीना सत्ता में बने रहने के लिए भारत को खुश करना चाहती है, बल्कि भारत भी द्विपक्षीय रिश्तों में ज्यादा लाभ लेना चाहता है। भारतीय ऊर्जा कंपनियों, शून्य बिंदु पर सीमा खड़ी करने, तीस्ता संधि के अनसुलझे रहने और बांग्लादेशी कंपनियों और टीवी चैनलों की भारतीय बाजार में पहुंच न होने से भी बांग्लादेश के लोगों में असंतोष है।

भारत-बांग्लादेश संबंधों को सही मायने में सफल करने के लिए भारत को बांग्लादेश के लोगों का दिल जीतना होगा और एक अमित्र पड़ोसी की धारणा को खत्म करने के उपाय तलाशने होंगे। भूमि सीमा समझौता इस दिशा में एक अच्छी पहल है।

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