Q.2 हिन्दी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
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हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। सामान्यतः प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है। यह रचना-परम्परा आगे चलकर शौरसेनी अपभ्रंश या प्राकृताभास हिन्दी में कई वर्षों तक चलती रही। पुरानी अपभ्रंश भाषा और बोलचाल की देशी भाषा का प्रयोग निरन्तर बढ़ता गया।
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हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। सामान्यतः प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है। उस समय अपभ्रंश के कई रूप थे और उनमें सातवीं-आठवीं शताब्दी से ही 'पद्य' रचना प्रारम्भ हो गयी थी।
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हिन्दी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- हिंदी एक इंडो-आर्यन भाषा है और दुनिया की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जो मुख्य रूप से उत्तर और मध्य भारत में बोली जाती है।
- इसकी उत्पत्ति 8वीं शताब्दी के मध्य भारत की एक बोली से हुई है, जिसे "संस्कृत अपभ्रंश" के नाम से जाना जाता है। सदियों से, यह संस्कृत, फारसी, अरबी, पुर्तगाली और अंग्रेजी जैसी कई भाषाओं से प्रभावित रहा है।
- 1776 में, अंग्रेजों ने दिल्ली क्षेत्र की प्रमुख बोली, खड़ीबोली के एक संस्करण को अपनाकर हिंदी को एक मानकीकृत रूप दिया। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान, हिंदी एक आधिकारिक भाषा बन गई; इसने पूरे भारत में अपना प्रभाव फैलाने में मदद की।
- हिंदी भाषा ने भोजपुरी, अवधी, ब्रजभाषा, मगधी और बुंदेली सहित कई बोलियों को जन्म दिया है। आज, हिंदी भारत में उपयोग की जाने वाली आधिकारिक भाषा है और उत्तरी भारत में रहने वाले अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाती है।
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