Q.3 निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए तथा उसके नीचे प्रश्नों के उत्तर यथा संभव आपके अपने शब्दों में होने चाहिए :- [10]
एक निर्धन मजदूर दिनभर अपना लहू-पसीना एक कर, साँझ के समय, दो आने पैसे अपनी चादर में बाँधकर घर लौट रहा था वह नंगे सिर और नंगे पैर था, फिर भी वह प्रसन्न था | वह अपने वर्तमान से खुश था और घर पहुँचकर सुख की नींद सोना चाहता था। उसके दिल में आशा भरी थी, छोटे-छोटे सपने थे। प्रतिदिन की कमाई उसे इतनी खुशी देती कि दुःख या चिंता का उसके जीवन में नामोनिशान तक न था। जीवन में कुछ कर गुजरने के सपने लिए वह चला जा रहा था। सामने से एक बारात आ रही थी मजदूर सोचने लगा - 'कभी मेरी भी शादी होगी। मैं भी बाजे-गाजे के साथ दुल्हन लाउँगा ।' उसका मन भावी जीवन की खुशियों के बारे में सोचकर मानो नाचने लगा। वह भी विवाह करके किसी अपने जीवन साथी के साथ अपना जीवन प्रसन्नता में बिताना चाहता था। तभी किसी ने हाथ पकड़, कठोरता से उसे धकेलते हुए कहा- 'एक तरफ हट! मजदूर के ब्याह की कल्पना मिट्टी में मिल गई। वह खीझकर बोला- "क्यों हट जाऊँ! सड़क क्या तुम्हारे बाप की है ? बारातवालों ने उसे खूब पीटा, उसकी चादर फाड़ दी और उसे झाड़ियों में फेंक दिया। रात का सन्नाटा था । बारात जा चुकी थी। मजदूर अकेला था और उसके चारों ओर निराशा का अँधेरा था। उसने आकाश की ओर आँखे उठाई और बोला- 'हे प्रभु, मेरे पास न धन-दौलत है न महल-अटारियाँ, न नौकर-चाकर। जब कुछ भी नहीं देना था तो तुने मुझे पैदा क्यों किया ?"
कई वर्ष बीत गए। मजदूर ने जी-जान से काम किया और अब वह नगर के धनी व्यक्तियों में से एक था। उसके पास विशाल महल, दास-दासियाँ, घोड़े, पालकियाँ आदि सब कुछ था । एक दिन साँझ को पालकी पर सवार होकर वह घर लौट रहा था। अचानक पालकी रुक गई। उसने पूछा- "पालकी क्यों रोक दी ? सेवक ने कहा - 'मालिक मजदूरों की बारात आ रही है, सड़क पर चलने का स्थान नहीं है। "उन्हें कहो एक ओर हट जाएँ, धनी बोला। वे कहते हैं सड़क सिर्फ तुम्हारे लिए नहीं है, सेवक ने बताया। "डंडे मारकर भगा दो, हमारा रास्ता रोकते हैं. क्रोधित स्वर में चिल्लाया। डंडे बरसने लगे मजदूर चीखते-चिल्लाते इधर-उधर भागने लगे। उनकी चीखों से पालकी को बड़ी परेशानी हो रही थी। उसके सिर में दर्द होने लगा। उसने कहा- "मुझे पालकी से उतार दो, मैं थोड़ी देर आराम करूँगा फिर आगे जाएँगे। सड़क के एक ओर स्थान देखकर नरम गलीचा बिछाया गया, वह पालकी से उतरकर आराम से बैठ गया। उसे लगा वह पहले भी कभी यहाँ बैठा है। शायद पिछले जन्म में। उसने अपनी आँखे आसमान की ओर उठाई और बोला, "हे प्रभु! इन अभागे मजदूरों के
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पास कुछ भी नहीं है। तूने इन्हें क्यों पैदा किया ? क्या सिर्फ इसलिए कि ये हमारे रास्ते का रोड़ा बने और समय नष्ट करें ? आखिर दुनिया में इनकी जरूरत क्या है ? यह बोलते समय वह भूल गया कि वह एक दिन क्या था ? ईश्वर ने एक संकेत भी दिया, उसे उसी स्थान पर विश्राम करना पड़ा। जहाँ किसी ने उसे पीट पीटकर गिरा दिया था, परंतु वह अपना अतीत, अपनी कठिन जीवन यात्रा भूल गया था। (क) गरीब होने पर भी मजदूर क्यों प्रसन्न था ? (ख) बारात देखकर मजदूर ने क्या अनुभव किया ?
(ग) बारातवालों ने मजदूर के साथ कैसा बर्ताव किया ? मजदूर ने अपना दुःख किन शब्दों में व्यक्त किया ? (घ) धनी व्यक्ति ने मजदूरों को रास्ते से हटाने के लिए सेवकों को क्या उपाय बताया ?
उसका क्या परिणाम निकला ? (ड) धनी हो जाने पर मजदूर की सोच में क्या परिवर्तन आया ? अंत में उसने आसमान की ओर देखकर क्या कहा ?
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रंग काव्य कोंकणी भाशा मंडळाच्या साहित्य अकादमी पुरस्कार देऊन भारत सरकारने त्यांचा गौरव केल्ले हिंदी भाशेचें एक मुखेल लेखक आसतात आनी ताका सुमाराभायर म्हत्व आसा अशेंय तांणी सदांकाल विष्णुचे दासपण आपणायल्यान तांच्या पायांचेर म्हजें गोंय सरकारान ताचो भोवमान करप हो ताचो भोवमान फावो जाल्लो आसून ताका धरलो आनी स वर्सां बंदखणीची ख्यास्त फर्मायली चार प्रकार आसात। ह्या वर्साचो कोंकणी सेवा पुरस्कार म्हालगडी राजकारणी आणि हे पूरा कार्यक्रमांतु श्री महालसा नारायणी देवळ शिरअसी जी एक व्हड प्रमाणांत मेळटात तांचेकडेन नागाक कान। श्री देवाक विशेष देशविदेश चर्चिल ब्रदर्सचे सहाव्या मानांकित प्रतिस्पर्ध्यावर मिनिटांतच विजय मात्र हे विचार करता आनी हेर वस्तू तयार करप हो ह्या संप्रदायाचो आदिगुरू दत्तात्रेय आदी जायत्या देशांनी आनी उपरांत परत मंगळूराक भेटी दिवचे स्कालरशिफ विजेते नमिता गणपती पूजा महा संतर्पण आनि रात्तिक विशेष रंगपूजा आनि श्री वेंकटरमण देवळ आनि उपरत्नां मेळटालीं तरतर जाल्लोघरांत धन सहायु पपू स्वाम्यांगेले चातुर्मास्य सुरुवात जाल्ले अणकार अभ्यासांत हें सरकार वाचविण्यासाठी कॉंग्रेसचे स्थापुणकेंत मोलादीक भर घाली असो उलो मारलो यॆत ढकलाढकली मार्केटमध्ये पाय भराभर पडत आहोत अशी शिटकावणी बायबल म्हणटा आनी उपरांत परत परत येतकच हें नांव मेळ्ळें आनी हेर वस्तू आनी उपरांत कोंकणीची उदरगत करपाची सोडून आपल्या देहाची विटंबना वा गोंयांत दोन भासो भयणी भयणी भयणी कश्यो नि रनिराळ्या वातव्याधींचे निदान करपाक सुरवात आनी हेर वस्तू आनी उपरांत कोंकणीची उदरगत करपाची सोडून मुळचे क्षात्रवृत्तीकडे वळळेकुटुंबियांक घेवन जेजू क्रिश्त आमचे सुवातेर मेलो रोमान्स चो उच्चार करतना आमकांय खूब वायट दिसलें न्हिदचें
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