Q.3.Online classes का अनुभव आपको कैसा लगा अपने विचार लिखिए:-
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21 दिनों के लॉकडाउन का बच्चों की पढ़ाई पर भी खासा असर पड़ा है. ऐसे में वर्चुअल क्लासेज और ऑनलाइन पढ़ाई ने बड़ा सहारा दिया है. सत्र काफी पिछड़ जाने की आशंका से परेशान स्कूलों के प्रबन्धन के लिये ऑनलाइन शिक्षण संकटमोचक साबित हो रहा है.
लॉकडाउन में भी जारी है पढ़ाई
लखनऊ के प्रमुख स्कूल ग्रुप में शुमार सिटी मोन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) की अध्यक्ष प्रोफेसर गीता गांधी किंगडन ने सोमवार को बताया '' लॉकडाउन में भी ग्रुप के सभी स्कूलों की पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आ रही है. वर्चुअल क्लासेज की परिकल्पना ऑनलाइन माध्यमों से साकार हो सकी है.'' उन्होंने बताया ''कोरोना वायरस के खतरे के कारण स्कूलों में शिक्षण कार्य ठप हो गया है, ऐसे में सिटी मोन्टेसरी स्कूल ने छात्रों की पढ़ाई के नुकसान को देखते हुए ई-लर्निंग का रास्ता अपनाया है, जिसके माध्यम से छात्र अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं.''
गूगल क्लासरूप प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल
गीता ने बताया '' गूगल इन्कॉर्पोरेशन के सहयोग से सी.एम.एस. 'गूगल क्लासरूम प्लेटफार्म' का उपयोग कर रहा है, जहां सीएमएस शिक्षक छात्रों के कोर्स से सम्बन्धित शैक्षिक सामग्री एवं असाइनमेन्ट पोस्ट कर रहे हैं. इसके माध्यम से छात्र अपनी शैक्षिक जिज्ञासाओं का समाधान कर सकते हैं और अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं. '' सेठ एम आर जयपुरिया स्कूल के प्रबन्धक के के सिंह ने बताया '' लॉकडाउन के कारण स्कूल-कॉलेज बंद हैं. लेकिन ऑनलाइन शिक्षण से बच्चों को लय में रखने में मदद मिल रही है.''
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ज्यादातर स्टूडेंट्स का मिल रहा सहयोग
सिंह ने कहा '' शिक्षकों को घर बैठे पाठ्यक्रम को ऑनलाइन माध्यम से व्यवस्थित करने के दिशानिर्देश दिये जा रहे हैं. बच्चों को व्हाट्सअप और स्काइप के जरिये वर्कशीट भेजकर होमवर्क दिया जा रहा है. शिक्षक अपने छोटे-छोटे वीडियो भेजकर बच्चों को होमवर्क के बारे में बता रहे हैं.'' सिंह ने कहा ''सीनियर कक्षाओं में हमें 80-85 प्रतिशत छात्रों से सहयोग मिल रहा है, वहीं छोटी कक्षाओं में भी ठीक-ठाक प्रतिक्रिया मिल रही है."
छोटे शहरों में हो सकती है दिक्कत
''इंडिपेंडेंट स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया'' के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉक्टर मधुसूदन दीक्षित का मानना है कि वर्चुअल क्लासेज और ऑनलाइन पढ़ाई बड़े शहरों में तो सफल हो सकती है, मगर दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में यह कामयाब नहीं हो सकती. उन्होंने कहा ''द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में नामी स्कूलों की आमद तो हो चुकी है लेकिन इन नगरों में रहने वाले ज्यादातर अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं. क्लास तो तभी संभव है जब हम सभी बच्चों तक पहुंच पायें. प्रयास तो किया जा सकता है लेकिन इसकी मुकम्मल कामयाबी मुमकिन नहीं है.''
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लॉकडाउन में बंद पड़े स्कूलों के चलते शुरू की गई ऑनलाइन पढ़ाई में छात्र ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। यही कारण है कि इन कक्षाओं से करीब आधे छात्र ही जुड़ पाए हैं। इसके अलावा कहीं नेट की रफ्तार तो कहीं संसाधनों की कमी ऑनलाइन पढ़ाई को प्रभावित कर रही है। अभिभावक बच्चों के असाइनमेंट तैयार करने में जुटे हैं तो अधिकतर शिक्षक भी इसे कई कारणों से ज्यादा प्रभावी नहीं मान रहे। हिन्दुस्तान टीम की रिपोर्ट...
कक्षा के लिए बने ग्रुप में नहीं जुड़े पूरे छात्र
दिल्ली शिक्षा निदेशालय की तरफ से शुरू की गई ऑनलाइन कक्षाओं के तहत संसाधनों की कमी का सबसे अधिक सामना 10वीं और 12वीं के छात्रों को करना पड़ रहा है। निदेशालय के एक शिक्षक के मुताबिक जिन बच्चों ने अभी 9वीं व 11वीं पास की है। उन्हें ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए कक्षा शिक्षक ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हैं। इन ग्रुप के माध्यम से ही ऑनलाइन कक्षाओं का आयोजन व निगरानी होती है। कक्षा में पंजीकरण के हिसाब से एक कक्षा के लिए बनाए गए ग्रुप में 40 से 50 छात्र होने चाहिए। लेकिन, इन ग्रुपों में बड़ी संख्या में छात्र ही नहीं जुड़े हैं। आलम यह है कि किसी ग्रुप में 50 फीसद तो किसी ग्रुप में 60 फीसदी छात्र ही जुड़े हैं।
शिक्षक के मुताबिक इसके पीछे जो प्रथम दृष्टया कारण समझ आ रहा है, वह यह है कि कई छात्रों के पास इन ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने के लिए जरूरी संसाधन नहीं है। इसमें स्मार्ट फोन, लैपटॉप या इंटरनेट जैसे संसाधन प्रमुख हैं।