Q.4 गरीबी रेिा केआकलि केनलए िमूिा सवेक्षण करिेकेनलए कौि सा निकाय निम्मेर्दार है? (1)
a) िमूिा सवेक्षण सांगठि b) राज्य सरकार
c) राष्ट्रीय िमूिा सवेक्षण सांगठि d) उिमेंसेकोई िहीं
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सोमवार को योजना आयोग की ओर से जारी पिछले पांच साल के तुलनात्मक आंकड़ें कहते हैं कि 2004-05 से लेकर 2009-10 के दौरान देश में गरीबी 7 फीसदी घटी है और गरीबी रेखा अब 32 रुपये प्रतिदिन से घटकर 28 रुपए 65 पैसे प्रतिदिन हो गई है.
योजना आयोग की ओर से सोमवार को जारी गरीबी के आंकड़े एक बार फिर उस बहस को छेड़ सकते हैं जिसका दारोमदार इस बात पर है कि भारत के शहरी और ग्रामीण इलाकों में गरीबी रेखा की परिभाषा क्या हो.
सोमवार को जारी योजना आयोग के साल 2009-2010 के गरीबी आंकड़े कहते हैं कि पिछले पांच साल के दौरान देश में गरीबी 37.2 फीसदी से घटकर 29.8 फीसदी पर आ गई है.
यानि अब शहर में 28 रुपए 65 पैसे प्रतिदिन और गांवों में 22 रुपये 42 पैसे खर्च करने वाले को गरीब नहीं कहा जा सकता. नए फार्मूले के अनुसार शहरों में महीने में 859 रुपए 60 पैसे और ग्रामीण क्षेत्रों में 672 रुपए 80 पैसे से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है.
इससे एक बार फिर उस विवाद को हवा मिल सकती है जो योजना आयोग द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर किए गए हलफनामे के बाद शुरू हुआ था. इसमें आयोग ने 2004-05 में गरीबी रेखा 32 रुपये प्रतिदिन तय किए जाने का उल्लेख किया था.
इसके बाद भारत में खाद्य सुरक्षा अधिकारों को लेकर काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने योजना आयोग के प्रमुख मोंटेक सिंह अहलूवालिया को चुनौती दी थी कि वो अपने बयान पर अमल करते हुए ख़ुद 32 रुपए में एक दिन का ख़र्च चला कर दिखाएं.
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