Hindi, asked by mamtamurarkasantosh5, 2 months ago


Q.6 निबंध : विज्ञान : वरदान है या अभिशाप
युद्ध
संबंधी
(विज्ञान का युग- बिजली का जादू- यातायात और समाचार संबंधी- सुविधाएं मनोरंजन- चिकित्सा आदि क्षेत्रों में
आविष्कार- विज्ञान का उज्जवल भविष्य)​

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Answered by Anonymous
6

आज का युग विज्ञान का युग है। ‘विज्ञान’ शब्द विज्ञान से बना है। ‘वि’ यानि विशेष। अतः विज्ञान किसी भी विषय में विशेष ज्ञान को ही कहा जाता है। आज के परिप्रेक्ष्य पर दृष्टिपात करने पर हम यह पाते हैं कि जीवन का प्रत्येक क्षेत्र, चाहे वह धर्म हो, कला हो, राजनीति हो अथवा कोई भी अन्य क्षेत्र क्यों न हो, विज्ञान से अछूता नहीं है। विज्ञान से समस्त प्रकृति पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया है। विज्ञान के कारण मानव को एक अपरिमित, और अदम्य शक्ति प्राप्त हुई है,

विज्ञान इस पृथ्वी पर एक कल्पवृक्ष की भाँति अवतरित हुआ है। इसने मानव की चिरसंचित विभिन्न इच्छाओं की पूर्ति की है। इसने अँधों को आँखें, बहरों को कान, लंगड़ों को चलने की क्षमता प्रदान की है। विज्ञान की देन इतनी नयनाभिराम है कि आज यदि प्राचीन काल का मानव इसकी लीलाएँ देख लें, तो या तो वह दाँतों तले अंगुली दबा लेगा या स्वयं अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं करेगा। विज्ञान की मदद से ही आज मानव चन्द्रमा का मस्तक चूमने में सफल हुआ है। पृथ्वी की परिक्रमा कर लिया है व विभिन्न ग्रहों की जानकारी भी हासिल कर ली है।

एक सिक्के के दो पहूल होते हैं। फूल के साथ काँटे भी होते हैं। समुन्द्र-मंथन से प्राप्त अमृत के साथ साथ विष भी ग्रहण करना पड़ता है। धूप के साथ छाया व दिन के साथ रात का अटूट सम्बन्ध होता है। इसी प्रकार विज्ञान के भी दो पक्ष हैं। कुछ बुद्धिजीवी इसे वरदान मानते हैं, तो कुछ ने अभिशाप।

अतः यदि यह जानना है कि वास्तव में विज्ञान वरदान है अथवा अभिशाप, तो हमें इसके दोनों पक्षों का अध्ययन करना होगा। विज्ञान के चमत्कार चिकित्सा, संचार साधनों, कृषि, यातायात आदि प्रत्यके क्षेत्र में दृष्टिगोचर होते हैं। विज्ञान के कारण ही आज मानव ने अनेक असाध्य समझे जाने वाले रोगों का इलाज खोज निकाला है। जहाँ पहले मामूली रोग होने पर ही देश के भावी नागरिक काल कचलित हो जाते थे, वहीं आज क्षय रोग, कैंसर, हैजा, संक्रामक जैसे भयानक और असाध्य रोगों के अचूक दवाइयों का अविष्कार किया जा चुका है। यहाँ तक कि मानव के हदय का प्रत्यारोपण भी सफलतापूर्वक किया जा चुका है। आज विज्ञान ने मानव को वह शक्ति दे दी है कि वह चाहे तो किसी भी भी प्राणी के शरीर का समस्त रक्त निकालकर नया रक्त डाल दे। आज परखनली में शिशु और पौधे पैदा करके विज्ञान के स्वयं ब्रहमा को भी चकित कर दिया है। घर बैठे बैठे बटन दबाते ही घर का शुभ्र ज्योत्सना से आलोकमय हो उठना, घर में बैठकर न सिर्फ विदेशी समाचार अपितु विदेशियों के टेलीविजन पर, साक्षात दर्शन भी कर लेना आदि विज्ञान का वदरान नहीं तो और क्या है?

विज्ञान ने मानव को ऐसे यातायात के साधन उपलब्ध कराए हैं, जिनसे वह पक्षी की भाँति गगनमण्डल में उड़ान भर सकता है, मछली के समान जल में तैर सकता है व बसों, रेलों आदि के द्वारा महीनों की यात्रा दिनों में, दिनों की यात्रा घण्टों में, घण्टों की यात्रा मिनटों में कर सकता है। संक्षेप में, यदि कहा जाए तो समस्त प्रकृति पर ही विज्ञान की विजय पताका लहरा रही है। अतः विज्ञान एक वरदान है।

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