Q:-मीडिया पर निबंध (not related to social media)
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✨Here is your answer✨
मीडिया का जनजीवन पर सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव-:
मीडिया एक ऐसा जरिया है। जिसके द्वारा देश विदेश की जानकारी, डाटा को एक साथ लाखों लोगों तक पहुँचाया जाता है। पहले लोग अपनी बात दूसरों तक पहुँचाने के लिए, डांस, गाने, नाटक का प्रयोग करते थे। जिससे वे बात दूसरों तक पहुंचा सकें। समय के साथ इसमें बदलाव आया और इसकी जगह प्रिंट मीडिया, फिर मास मीडिया, और अब सोशल मीडिया के द्वारा लोग अपनी बात सबके सामने रखते है। मीडिया संचार का एक बहुत आसान और मजबूत तरीका है। आजकल मीडिया के सबसे आसान तरीके है। रेडियो, टीवी, न्यूज़पेपर एवं इन्टरनेट। मीडिया का हमारी सोसाइटी में एक अहम स्थान है।
मीडिया ने जब पहली बार काम शुरू किया तो प्रिंट मीडिया आया। इसका मतलब, समाचार पत्र समाचार पत्र के इतिहास के बारे में यहाँ जानें। समाचार पत्रों के द्वारा लोग अपनी बात या, देश विदेश की जरुरी जानकारी उसमें छापने लगे। इसके द्वारा एक साथ बहुत से लोगों तक, बहुत कम समय में जानकारी जाने लगी। इसके बाद आया रेडियो, जिसके द्वारा हम गाने, विविध जानकारी एवं समाचार को सुन सकते थे। रेडियो के इतिहास के बारे में यहाँ पढ़ें। रेडियो की फ्रीक्वेंसी सेट कर, ये गाँव-गाँव शहर पहुँचने लगा, इसके द्वारा और भी जल्दी जानकारी मिलने लगी. इसके बाद मीडिया के क्षेत्र में क्रांति लाई टीवी ने. भारत में दूरदर्शन चैनल के साथ सभी के घर में टीवी आई. टीवी में मनोरंजन के लिए बहुत से सीरियल, ज्ञान वर्धक बातें आती थी, इसके साथ ही इसमें समाचार का प्रसारण होने लगा। इसमें किसी भी कार्यक्रम को सुनने के साथ साथ हम देख भी सकते थे। उस समय मीडिया चैनल के नाम पर सिर्फ दूरदर्शन था। ये दिन में 2 बार 10-15 min के लिए ही आता था, जिसमें देश-विदेश की जरुरी बातों को ही कवर किया जाता था।
मीडिया का सकारात्मक प्रभाव और फायदे - :
मीडिया का सबसे बड़ा साधन आज के समय में टेलीविज़न है. टीवी में आज जितने मनोरंजन के चैनल है, उतने ही या उससे भी ज्यादा समाचार चैनल है.
मीडिया के द्वारा लोगों को शिक्षा मिलती है, वे टीवी, रेडियो प्रोग्राम के द्वारा स्वास्थ्य, वातावरण, दूसरी अन्य जानकारी को जान पाते है.
मीडिया के द्वारा लोगों को अपना टैलेंट पूरी दुनिया में सबके सामने रखने का एक अच्छा प्लेटफार्म मिला.
बच्चों का ज्ञान बढ़ता है. बच्चे डिस्कवरी जैसे चैनल, क्विज प्रोग्राम के द्वारा बहुत कुछ सीखते है.
रेडियो भी एक अच्छा माध्यम है, इसके द्वारा कही पर भी रहकर जानकारी मिल जाती है. आजकल मोबाइल में भी रेडियो, एफ़एम् की सुविधा मौजूद रहती है.
मीडिया के द्वारा विज्ञापन कंपनी के उन्नति के रास्ते खुल गए. जैसे ही मीडिया आई, उसके पीछे पीछे अपने प्रोडक्ट का विज्ञापन करने के लिए, उन्हें अच्छा माध्यम मिल गया.
विज्ञापन के द्वारा अलग अलग तरह के समान के बारे में लोगों को जानकारी मिलती है, जिससे इसकी बिक्री भी अधिक होती है.
मीडिया चैनल के नकारात्मक प्रभाव - :
बढ़ते चैनलों के साथ एक चैनल दुसरे का प्रतिद्वंद्दी हो गया. TRP की होड़ में ये प्रोग्राम की क्वालिटी में ध्यान नहीं देते, और बस कुछ भी दिखाते है.
आजकल टीवी पर कार्यक्रम से ज्यादा तो विज्ञापन आता है. टीवी चैनल वालों को विज्ञापन से पैसा मिलता है, जिससे वे अपने कार्यक्रम में विज्ञापन अधिक दिखाते है, और प्रोग्राम को छोटा कर देते है.
कुछ भी दिखाने के लिए, आजकल फूहड़ता परोसी जाती है. कई बार फॅमिली चैनल में भी ऐसे कार्यक्रम आते है, जो परिवार के साथ बैठकर नहीं देखे जा सकते है, और अचानक ऐसा कुछ आने से सभी असमंजस महसूस करते है.
टीवी में बढ़ते चैनल की वजह से अधिकतर लोग इसमें बिजी हो गए है. एक के बाद एक कार्यक्रम के चलते वे टीवी सेट्स के सामने ही बैठे रहते है. इसके साथ ही दुसरे चैनल में उसी समय में और प्रोग्राम आते है, जिसे देखने के लिए लोग उसका रिपीट देखते है. इसका मतलब लोगों की ज़िन्दगी बस टीवी के इर्दगिर्द ही घुमती है, मुख्य रूप से ऐसा औरतें करती है.
मास मीडिया, सोशल मीडिया का सबसे बुरा असर बच्चों पर एवं विद्यार्थियों पर पड़ता है, वे अपना ध्यान पर इस पर अधिक लगते है, जिससे उनकी पढाई पर बहुत असर पड़ता है.
मास मीडिया, सोशल मीडिया एक तरह से आपको अपनी आदत लगा देते है, इसके बिना रहना आपके लिए मुश्किल हो जाता है. इससे इन्सान के दिमाग का विकास भी रुक जाता है, और वे एक ही स्तर तक सोच पाता है.
लगातार मास मीडिया, सोशल मीडिया के संपर्क में रहने से बच्चों, बड़े सभी के दिमाग, आँख पर असर होता है. बच्चों को कम उम्र में ही चश्मे लगने लगते है. इसके आलावा भी बहुत से स्वास्थ्य की परेशानी जैसे सर दर्द, बेक में पैन आदि.
सोशल मीडिया में अधिक समय बिताने वालों के लिए कई तरह की परेशानी खड़ी हो जाती है. अगर माँ बाप ध्यान न दें, तो बच्चे गलत लोगों की संगति में पड़ जाते है, और अपना भविष्य ख़राब कर देते है.
मास मीडिया, सोशल मीडिया पर बहुत से गंदे गंदे चैनल भी आते है. ये हमारे समाज के लिए अभिशाप की तरह है, जो देश का भविष्य बिगाड़ते है. इसके लिए सरकार को कड़े कदम उठाना चाहिए, और ऐसे टीवी चैनल, प्रोग्राम को टीवी पर प्रसारित नहीं होने देना चाहिए.
मास मीडिया, सोशल मीडिया पर दिखाए जाने वाले प्रोग्राम कई बार गलत शिक्षा भी देते है. इसमें क्राइम से जुड़े प्रोग्राम भी आते है, जो कई लोगों को नए नए आईडिया दे देते है, और इससे हमारे समाज में भी तरह तरह की आपराधिक घटना होने लगती है.
मास मीडिया, सोशल मीडिया के प्रोग्राम में सिगरेट, शराब का सेवन भी खुलेआम दिखाया जाता है, इसे देख बड़ों के साथ बच्चे भी प्रभावित होते है, वे इसे अपने जीवन में उतार लेते है.
I hope it's helpful for you. Thank you ❤️❤️
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मीडिया ने जब पहली बार काम शुरू किया तो प्रिंट मीडिया आया। इसका मतलब, समाचार पत्र समाचार पत्र के इतिहास के बारे में यहाँ जानें। समाचार पत्रों के द्वारा लोग अपनी बात या, देश विदेश की जरुरी जानकारी उसमें छापने लगे। इसके द्वारा एक साथ बहुत से लोगों तक, बहुत कम समय में जानकारी जाने लगी। इसके बाद आया रेडियो, जिसके द्वारा हम गाने, विविध जानकारी एवं समाचार को सुन सकते थे। रेडियो के इतिहास के बारे में यहाँ पढ़ें। रेडियो की फ्रीक्वेंसी सेट कर, ये गाँव-गाँव शहर पहुँचने लगा, इसके द्वारा और भी जल्दी जानकारी मिलने लगी. इसके बाद मीडिया के क्षेत्र में क्रांति लाई टीवी ने. भारत में दूरदर्शन चैनल के साथ सभी के घर में टीवी आई. टीवी में मनोरंजन के लिए बहुत से सीरियल, ज्ञान वर्धक बातें आती थी, इसके साथ ही इसमें समाचार का प्रसारण होने लगा। इसमें किसी भी कार्यक्रम को सुनने के साथ साथ हम देख भी सकते थे। उस समय मीडिया चैनल के नाम पर सिर्फ दूरदर्शन था। ये दिन में 2 बार 10-15 min के लिए ही आता था, जिसमें देश-विदेश की जरुरी बातों को ही कवर किया जाता था।
मीडिया का सकारात्मक प्रभाव और फायदे - :
मीडिया का सबसे बड़ा साधन आज के समय में टेलीविज़न है. टीवी में आज जितने मनोरंजन के चैनल है, उतने ही या उससे भी ज्यादा समाचार चैनल है.
मीडिया के द्वारा लोगों को शिक्षा मिलती है, वे टीवी, रेडियो प्रोग्राम के द्वारा स्वास्थ्य, वातावरण, दूसरी अन्य जानकारी को जान पाते है.
मीडिया के द्वारा लोगों को अपना टैलेंट पूरी दुनिया में सबके सामने रखने का एक अच्छा प्लेटफार्म मिला.
बच्चों का ज्ञान बढ़ता है. बच्चे डिस्कवरी जैसे चैनल, क्विज प्रोग्राम के द्वारा बहुत कुछ सीखते है.
रेडियो भी एक अच्छा माध्यम है, इसके द्वारा कही पर भी रहकर जानकारी मिल जाती है. आजकल मोबाइल में भी रेडियो, एफ़एम् की सुविधा मौजूद रहती है.
मीडिया के द्वारा विज्ञापन कंपनी के उन्नति के रास्ते खुल गए. जैसे ही मीडिया आई, उसके पीछे पीछे अपने प्रोडक्ट का विज्ञापन करने के लिए, उन्हें अच्छा माध्यम मिल गया.
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बढ़ते चैनलों के साथ एक चैनल दुसरे का प्रतिद्वंद्दी हो गया. TRP की होड़ में ये प्रोग्राम की क्वालिटी में ध्यान नहीं देते, और बस कुछ भी दिखाते है.
आजकल टीवी पर कार्यक्रम से ज्यादा तो विज्ञापन आता है. टीवी चैनल वालों को विज्ञापन से पैसा मिलता है, जिससे वे अपने कार्यक्रम में विज्ञापन अधिक दिखाते है, और प्रोग्राम को छोटा कर देते है.
कुछ भी दिखाने के लिए, आजकल फूहड़ता परोसी जाती है. कई बार फॅमिली चैनल में भी ऐसे कार्यक्रम आते है, जो परिवार के साथ बैठकर नहीं देखे जा सकते है, और अचानक ऐसा कुछ आने से सभी असमंजस महसूस करते है.
टीवी में बढ़ते चैनल की वजह से अधिकतर लोग इसमें बिजी हो गए है. एक के बाद एक कार्यक्रम के चलते वे टीवी सेट्स के सामने ही बैठे रहते है. इसके साथ ही दुसरे चैनल में उसी समय में और प्रोग्राम आते है, जिसे देखने के लिए लोग उसका रिपीट देखते है. इसका मतलब लोगों की ज़िन्दगी बस टीवी के इर्दगिर्द ही घुमती है, मुख्य रूप से ऐसा औरतें करती है.
मास मीडिया, सोशल मीडिया का सबसे बुरा असर बच्चों पर एवं विद्यार्थियों पर पड़ता है, वे अपना ध्यान पर इस पर अधिक लगते है, जिससे उनकी पढाई पर बहुत असर पड़ता है.
मास मीडिया, सोशल मीडिया एक तरह से आपको अपनी आदत लगा देते है, इसके बिना रहना आपके लिए मुश्किल हो जाता है. इससे इन्सान के दिमाग का विकास भी रुक जाता है, और वे एक ही स्तर तक सोच पाता है.
लगातार मास मीडिया, सोशल मीडिया के संपर्क में रहने से बच्चों, बड़े सभी के दिमाग, आँख पर असर होता है. बच्चों को कम उम्र में ही चश्मे लगने लगते है. इसके आलावा भी बहुत से स्वास्थ्य की परेशानी जैसे सर दर्द, बेक में पैन आदि.
सोशल मीडिया में अधिक समय बिताने वालों के लिए कई तरह की परेशानी खड़ी हो जाती है. अगर माँ बाप ध्यान न दें, तो बच्चे गलत लोगों की संगति में पड़ जाते है, और अपना भविष्य ख़राब कर देते है.
मास मीडिया, सोशल मीडिया पर बहुत से गंदे गंदे चैनल भी आते है. ये हमारे समाज के लिए अभिशाप की तरह है, जो देश का भविष्य बिगाड़ते है. इसके लिए सरकार को कड़े कदम उठाना चाहिए, और ऐसे टीवी चैनल, प्रोग्राम को टीवी पर प्रसारित नहीं होने देना चाहिए.
मास मीडिया, सोशल मीडिया पर दिखाए जाने वाले प्रोग्राम कई बार गलत शिक्षा भी देते है. इसमें क्राइम से जुड़े प्रोग्राम भी आते है, जो कई लोगों को नए नए आईडिया दे देते है, और इससे हमारे समाज में भी तरह तरह की आपराधिक घटना होने लगती है.
मास मीडिया, सोशल मीडिया के प्रोग्राम में सिगरेट, शराब का सेवन भी खुलेआम दिखाया जाता है, इसे देख बड़ों के साथ बच्चे भी प्रभावित होते है, वे इसे अपने जीवन में उतार लेते है.
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1546:
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