ʜɪ ꜰʀɪᴇɴᴅꜱ
ᴘʟᴇᴀꜱᴇ ʜᴇʟᴘ ᴍᴇ ɪɴ ᴛʜɪꜱ Qᴜᴇꜱᴛɪᴏɴ.
ꜱᴜʙᴊᴇᴄᴛ- ʜɪɴᴅɪ.
ᴄʜᴀᴘᴛᴇʀ ɴᴀᴍᴇ - महायज्ञ का पुरस्कार
ᴄʟᴀꜱꜱ-9
Qᴜᴇꜱᴛɪᴏɴ- कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें ?
ᴀɴᴅ ʏᴇꜱ ᴅᴏɴ'ᴛ ᴛʀʏ ᴛᴏ ᴄᴏᴘʏ ᴀɴꜱᴡᴇʀꜱ ꜰʀᴏᴍ ɢᴏᴏɢʟᴇ ᴏʀ ᴏᴛʜᴇʀ ᴡᴇʙꜱɪᴛᴇꜱ.
ꜱᴘᴀᴍ ɴᴏᴛ ᴀʟʟᴏᴡᴇᴅ.
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महायज्ञ का पुरस्कार, एक काल्पनिक कथा है। जिसके लेखक यशपाल जी ने परोपकार की शिक्षा पाठकों को दी है। अतः महायज्ञ का पुरस्कार कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चा यज्ञ वह है जो निःस्वार्थ भाव से प्राणीमात्र की भलाई के लिए किया गया कार्य हो। हमें सभी प्राणियों पर दया करनी चाहिए।
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महायज्ञ का पुरस्कार कहानी का शीर्षक अत्यंत सार्थक एवं उचित है . कहानीकार यशपाल जी उपयुक्त कहानी में दिखाया है कि निस्वार्थ भाव से किया गया कर्म ही सच्चा कर्म महायज्ञ होता है . इस कहानी के मुख्य पात्र सेठ एवं सेठानी अपनी गरीबी को दूर करने के लिए यज्ञ के फल को बेचने के लिए विबस होना पड़ा .
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