Q ' साथी हाथ बधाना। ' गिथ किस फ्लिम माई दरशाया गया है?
उत्तर:-
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Q) ईस कविता को लय म कंठस्थ कारे?
उत्तर:-
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Yeh Kavita ka naam Hai " SATTHI HAATH BADHANA
Answers
Answer:
Name of movie is नया दौर
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Answer:
1) 'नया दौर' फिल्म में जब कच्ची सड़क को पक्का करने के लिए सब मिल जुल कर काम करते हैं तब यह गीत आता है। यह गीत उनके सहयोग, उत्साह और जोश को प्रदर्शित करता है। प्रश्न 1. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
2) सुभद्रा कुमारी चौहान (जन्म : 16 अगस्त, 1904; मृत्यु : 15 फरवरी, 1948) हिंदी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए, पर उनकी प्रसिद्धि ‘झांसी की रानी’ कविता के कारण है। सुभद्रा जी राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रहीं, किंतु उन्होंने स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएं सहने के पश्चात् अपनी अनुभूतियों को कहानी में भी व्यक्त किया। वातावरण चित्रण-प्रधान शैली की भाषा सरल तथा काव्यात्मक है, इस कारण उनकी रचना की सादगी हृदयग्राही है :
सुभद्रा कुमारी चौहान : झांसी की रानी को नायकत्व तक पहुंचाया
divyahimachal
4 years ago
सुभद्रा कुमारी चौहान (जन्म : 16 अगस्त, 1904; मृत्यु : 15 फरवरी, 1948) हिंदी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए, पर उनकी प्रसिद्धि ‘झांसी की रानी’ कविता के कारण है। सुभद्रा जी राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रहीं, किंतु उन्होंने स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएं सहने के पश्चात् अपनी अनुभूतियों को कहानी में भी व्यक्त किया। वातावरण चित्रण-प्रधान शैली की भाषा सरल तथा काव्यात्मक है, इस कारण उनकी रचना की सादगी हृदयग्राही है :
चमक उठी सन् सत्तावन में
वह तलवार पुरानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मरदानी वह तो
झांसी वाली रानी थी।
वीर रस से ओत-प्रोत इन पंक्तियों की रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान को ‘राष्ट्रीय वसंत की प्रथम कोकिला’ की संज्ञा दी गई थी। यह वह कविता है जो जन-जन का कंठहार बनी। कविता में भाषा का ऐसा ऋजु प्रवाह मिलता है कि वह बालकों-किशोरों को सहज ही कंठस्थ हो जाती है। कथनी-करनी की समानता सुभद्रा जी के व्यक्तित्व का प्रमुख अंग है। इनकी रचनाएं सुनकर मरणासन्न व्यक्ति भी ऊर्जा से भर सकता है। ऐसा नहीं कि कविता केवल सामान्य जन के लिए ग्राह्य है, यदि काव्य-रसिक उसमें काव्यत्व खोजना चाहें तो वह भी है :हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झांसी में।
लक्ष्मीबाई की वीरता का राजमहलों की समृद्धि में आना जैसा एक मणिकांचन योग था, कदाचित उसके लिए ‘वीरता और वैभव की सगाई’ से उपयुक्त प्रयोग दूसरा नहीं हो सकता था। स्वतंत्रता संग्राम के समय में जो अगणित कविताएं लिखी गईं, उनमें इस कविता और माखनलाल चतुर्वेदी की ‘पुष्प की अभिलाषा’ का अनुपम स्थान है। सुभद्रा जी का नाम मैथिलीशरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी, बालकृष्ण शर्मा नवीन की यशस्वी परंपरा में आदर के साथ लिया जाता है। वह बीसवीं शताब्दी की सर्वाधिक यशस्वी और प्रसिद्ध कवयित्रियों में अग्रणी हैं।
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