Q1 अभिकथन: सतयुगी सजन समभाव के अनुरूप अपनी दृष्टि को ढालते हैं और जनचर-बनचर अथवा जगत जहान की हर वस्तु में समदृष्टि द्वारा भगवान की सर्वव्यापकता का आभास करते हुए सबके प्रति प्रेम, मैत्री व सजनता का भाव रखते हैं। कारण: वे जानते हैं कि सम सर्वव्यापक भगवान का प्रतीक है और समभाव नैतिकता का मूल आधार है।
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इससे तातपर्य ह की तो सतयुगी सजन हैं जो राम का नाम लेता है उसे संसार की हर वस्तु में भगवान का ज्ञान होता है उसे हर तरफ भगवान का आभास होता है
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