Q1. निम्नलिखित गद्यांश की प्रसंग सहित व्याख्या कीजिये -
"तो क्यों इतने मुक्कदमे लेते हो? काम उतना ही करना चाहिए जितना आराम से हो सके। प्राण देक
धोडे ही काम किया जाता है। मत लिया करो, बहुत मुक्कदमे। मुझे रुपयों का लालच नहीं। तुम आराम से रह
तो रुपये बहुत मिलेंगे।
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[10 Mar
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Answer:
प्रस्तुत गद्य में बताया गया है कि व्यक्ति को उतना ही काम करना चाहिए जितना कि वह आसानी से कर सके और एक बार में एकाएक जिया जल्दबाजी में किसी कार्य को नहीं करना चाहिए
Explanation:
प्रस्तुत गद्य में लेखक का कहना यह है कि हमें किसी भी कार्य को एकाग्र चित्त होकर एवं धीरे धीरे समझदारी से करना चाहिए जिससे कि कार्य भी संपन्न हो जाए और ज्यादा मेहनत भी ना लगे अगर आप उसी कार्य को ज्यादा परिश्रम लगाकर करेंगे तो कार्य भी नहीं होगा और अंततः आप शारीरिक रूप से मुसीबत में पड़ सकते हैं
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