Q1 नाथ-सिद्ध साहित्य का हिन्दी इतिहास में क्या स्थान है? विवेचन करें।
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निष्कर्षत: हम कह सकते हैं कि सिद्ध नाथ साहित्य भले ही अपनी धार्मिक मान्यताओं के प्रचार हेतु लिखे गए हों किंतु उनकी सामाजिक संवेदना, जैसे- सिद्धों द्वारा कर्मकांडों एवं बाह्य आडंबरों का विरोध, नाथों का आचरण शुचिता पर बल, के कारण इनके हिन्दी साहित्य के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका को लेकर विद्वानों में लगभग सहमति है।
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