Hindi, asked by ladduamrio1222, 4 months ago


Q1) प्रश्नों के उत्तर लिखें-
कितने दिवस रघुपति पंथ माँगते रहे?
Q3) अलंकार के कितने भेद होते हैं?
Q4) निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों में अलंकार का निर्धारण कीजिए-
लट लटकानि मनु मत्त मधुपगन मादक मधुहिं पिए ।
Q5) सही उत्तर चुनें-
रती-रती शोभा सब रती के शरीर की ।

उपमा; यमक; उत्प्रेक्षा; रूपक।​

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व्याकरण अलंकार

परिचय :

अलंकार का अर्थ है-आभूषण। अर्थात् सुंदरता बढ़ाने के लिए प्रयुक्त होने वाले वे साधन जो सौंदर्य में चार चाँद लगा देते हैं। कविगण कविता रूपी कामिनी की शोभा बढ़ाने हेतु अलंकार नामक साधन का प्रयोग करते हैं। इसीलिए कहा गया है-‘अलंकरोति इति अलंकार।’

परिभाषा :

जिन गुण धर्मों द्वारा काव्य की शोभा बढ़ाई जाती है, उन्हें अलंकार कहते हैं।

(ब) अर्थालंकार

अर्थ में चमत्कार उत्पन्न करने वाले अलंकार अर्थालंकार कहलाते हैं। इस अलंकार में अर्थ के माध्यम से काव्य के सौंदर्य में वृद्धि की जाती है।

पाठ्यक्रम में अर्थालंकार के पाँच भेद निर्धारित हैं। यहाँ उन्हीं भेदों का अध्ययन किया जाएगा।

अर्थालंकार के भेद :

अर्थालंकर के पाँच भेद हैं –

उपमा अलंकार

रूपक अलंकार

उत्प्रेक्षा अलंकार

अतिशयोक्ति अलंकार

मानवीकरण अलंकार

1. उपमा अलंकार- जब काव्य में किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अत्यंत प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से की जाती है तो

उसे उपमा अलंकार कहते हैं; जैसे-पीपर पात सरिस मन डोला।

यहाँ मन के डोलने की तुलना पीपल के पत्ते से की गई है। अतः यहाँ उपमा अलंकार है।

उपमा अलंकार के अंग-इस अलंकार के चार अंग होते हैं –

उपमेय-जिसकी उपमा दी जाय। उपर्युक्त पंक्ति में मन उपमेय है।

उपमान-जिस प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से उपमा दी जाती है।

समान धर्म-उपमेय-उपमान की वह विशेषता जो दोनों में एक समान है।

उपर्युक्त उदाहरण में ‘डोलना’ समान धर्म है।

वाचक शब्द-वे शब्द जो उपमेय और उपमान की समानता प्रकट करते हैं।

उपर्युक्त उदाहरण में ‘सरिस’ वाचक शब्द है।

सा, सम, सी, सरिस, इव, समाना आदि कुछ अन्यवाचक शब्द है।

2. रूपक अलंकार-जब रूप-गुण की अत्यधिक समानता के कारण उपमेय पर उपमान का भेदरहित आरोप होता है तो उसे रूपक अलंकार कहते हैं।

रूपक अलंकार में उपमेय और उपमान में भिन्नता नहीं रह जाती है; जैसे-चरण कमल बंदी हरि राइ।

यहाँ हरि के चरणों (उपमेय) में कमल(उपमान) का आरोप है। अत: रूपक अलंकार है।

3. उत्प्रेक्षा अलंकार-जब उपमेय में गुण-धर्म की समानता के कारण उपमान की संभावना कर ली जाए, तो उसे उत्प्रेक्षा अलंकार कहते हैं; जैसे –

कहती हुई यूँ उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।

हिम कणों से पूर्ण मानों हो गए पंकज नए।।

यहाँ उत्तरा के जल (आँसू) भरे नयनों (उपमेय) में हिमकणों से परिपूर्ण कमल (उपमान) की संभावना प्रकट की गई है। अतः उत्प्रेक्षा अलंकार है।

उत्प्रेक्षा अलंकार की पहचान-मनहुँ, मानो, जानो, जनहुँ, ज्यों, जनु आदि वाचक शब्दों का प्रयोग होता है।

4. अतिशयोक्ति अलंकार – जहाँ किसी व्यक्ति, वस्तु आदि को गुण, रूप सौंदर्य आदि का वर्णन इतना बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए कि जिस पर विश्वास करना कठिन हो, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है; जैसे –

एक दिन राम पतंग उड़ाई। देवलोक में पहुँची जाई।।

यहाँ राम द्वारा पतंग उड़ाने का वर्णन तो ठीक है पर पतंग का उड़ते-उड़ते स्वर्ग में पहुँच जाने का वर्णन बहुत बढ़ाकर किया गया। इस पर विश्वास करना कठिन हो रहा है। अत: अतिशयोक्ति अलंकार।

5. मानवीकरण अलंकार – जब जड़ पदार्थों और प्रकृति के अंग (नदी, पर्वत, पेड़, लताएँ, झरने, हवा, पत्थर, पक्षी) आदि पर मानवीय क्रियाओं का आरोप लगाया जाता है अर्थात् मनुष्य जैसा कार्य व्यवहार करता हुआ दिखाया जाता है तब वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है; जैसे –

हरषाया ताल लाया पानी परात भरके।

यहाँ मेहमान के आने पर तालाब द्वारा खुश होकर पानी लाने का कार्य करते हुए दिखाया गया है। अतः यहाँ मानवीकरण अलंकार है।

2. नीचे कुछ अलंकारों के नाम दिए गए हैं। उनके उदाहरण लिखिए –

(i) उपमा अलंकार

(ii) उत्प्रेक्षा अलंकार

(iii) रूपक अलंकार

(iv) मानवीकरण अलंकार

(v) श्लेष अलंकार

(vi) यमक अलंकार

(vii) मानवीकरण अलंकार

(viii) अतिशयोक्ति अलंकार

(ix) अनुप्रास अलंकार

(x) यमक अलंकार

उत्तरः

(i) तब तो बहता समय शिला-सा जम जाएगा

(ii) सोहत ओढे पीत पट स्याम सलोने गात।

मनहुँ नील मणि शैल पर आतप पर्यो प्रभात।।

(iii) प्रीति-नदी में पाँव न बोरयो

(iv) हैं किनारे कई पत्थर पी रहे चुपचाप पानी। 88

(v) मंगन को देखो पट बार-बार हैं।

(vi) तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती है।

(vii) उषा सुनहले तीर बरसती जय लक्ष्मी-सी उदित हुई।

(viii) पानी परात के हाथ छुयो नहिं नैनन के जलसो पग धोए।

(ix) सठ सुधरहिं सतसँगति पाई। पारस परस कुधातु सुहाई।

(x) कहै कवि बेनी-बेनी व्याल की चुराई लीन्हीं।

विभिन्न परीक्षाओं में पूछे गए

1. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित अलंकार भेद बताइए

(i) नयन तेरे मीन-से हैं।

(ii) मखमल की झुल पड़ा, हाथी-सा टीला।

(iii) आए महंत वसंत।

(iv) यह देखिए अरविंद से शिशु बंद कैसे सो रहे।

(v) दृग पग पोंछन को करे भूषण पायंदाज।

(vi) दुख है जीवन के तरुफूल।

(vii) एक रम्य उपवन था, नंदन वन-सा सुंदर

(viii) तेरी बरछी में बर छीने है खलन के।

(ix) चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल-थल में।

(x) अंबर-पनघट में डूबो रही घट तारा ऊषा नागरी।

(xi) मखमली पेटियाँ-सी लटकी, छीमियाँ छिपाए बीज लड़ी।

(xii) मज़बूत शिला-सी दृढ़ छाती।

(xiii) रघुपति राघव राजाराम।

(xiv) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर बारौं।

(xv) कढ़त साथ ही ते, ख्यान असि रिपु तन से प्रान

(xvi) खिले हज़ारों चाँद तुम्हारे नयनों के आकाश में।

(xvii) घेर घेर घोर गगन धाराधर ओ।

(xviii) राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।

(xix) पानी गए न ऊबरै मोती मानुष चून

(xx) जो नत हुआ, वह मृत हुआ ज्यों वृंत से झरकर कुसुम।

उत्तरः

(i) उपमा अलंकार

(ii) उपमा अलंकार

(iii) रूपक अलंकार

(iv) उपमा अलंकार

(v) रूपक अलंकार

(vi) रूपक अलंकार

(vii) उपमा अलंकार

(viii) यमक अलंकार

(ix) अनुप्रास अलंकार

(x) रूपक एवं मानवीकरण अलंकार

(xi) उपमा अलंकार

(xii) उपमा अलंकार

(xii) अनुप्रास अलंकार

(xiv) अनुप्रास अलंकार

(xv) अतिशयोक्ति अलंकार

(xvi) रूपक अलंकार

(xvii) अनुप्रास अलंकार

(xviii) अतिशयोक्ति अलंकार

(xix) श्लेष अलंकार

(xx) उत्प्रेक्षा अलंकार

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