History, asked by arvindgupta93698243, 4 months ago

Q2.
1857 का विप्लव ब्रिटिश शासन के पूर्ववर्ती सौ वर्षों में बार-बार घटित छोटे एवं बड़े स्थानीय विद्रोहों
का चरमोत्कर्ष था । सुस्पष्ट कीजिए । (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
The 1857 Inmin​

Answers

Answered by sameerkhan1212
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Answer:

1857 के संघर्ष को लेकर इतिहासकारों के विचार एक समान नहीं हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि 4 महीनों का यह उभार किसान विद्रोह था तो कुछ इसे सैन्य विद्रोह मानते हैं। वी.डी. सावरकर की पुस्तक ‘द इंडियन वार ऑफ इंडिपेंडेंस’ में इसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम माना। 20वीं सदी के शुरुआती दौर के राष्ट्रवादी इतिहासकारों ने इसे वीर स्वतंत्रता सेनानियों का संघर्ष बताया जो कि स्वतंत्रता की प्रथम लड़ाई में परिवर्तित हो गया।

1857 का विद्रोह ब्रिटिश विस्तारवादी, शोषक एवं कराधान नीतियों, अंग्रेजों द्वारा सामाजिक प्रथाओं में हस्तक्षेप तथा अन्य प्रशासनिक अत्याचारों का सम्मिलित प्रभाव था। लॉर्ड डलहौजी की विलय की नीति तथा वेलेजली की सहायक संधि से भारत की जनता में बहुत असंतोष था। इन कारणों ने स्थानीय शासकों, सिपाहियों, ज़मींदारों, किसानों, कारीगरों, व्यापारियों और धार्मिक नेताओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया।

सेना में एनफील्ड राइफल का आरंभ विद्रोह का तात्कालिक कारण था, जिसके कारतूस कथित रूप से गौमांस एवं सूअर की चर्बी से बने थे और इन्हें चलाने के लिये मुँह से खोलना पड़ता था। इससे हिंदू एवं मुस्लिम दोनों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँची और उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह कर दिया।

सिपाहियों ने सर्वप्रथम 10 मई, 1857 को विद्रोह किया। उसके बाद सिपाहियों ने दिल्ली के लिये कूच किया एवं बहादुर शाहजफर को दिल्ली का बादशाह घोषित कर दिया। तत्पश्चात यह विद्रोह अवध, बंगाल, रुहेलखंड, दोआब, बुंदेलखंड, मध्य बिहार एवं पूर्वी पंजाब तक फैल गया। देशी शासकों ने भी कुछ क्षेत्रों में विद्रोह का नेतृत्व किया, जैसे- कानपुर में नाना साहब, झाँसी में रानी लक्ष्मीबाई इत्यादि।

Answered by niteshrajputs995
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Answer:

1857 का विद्रोह, जिसे भारतीय विद्रोह या भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम युद्ध के रूप में भी जाना जाता है, कई दशकों से भारत में पनप रहे विभिन्न राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक कारकों की परिणति थी।  जबकि पूर्ववर्ती वर्षों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई स्थानीय विद्रोह हुए थे, 1857 का विद्रोह अपने पैमाने और तीव्रता में भिन्न था।

Explanation:

विद्रोह का तात्कालिक कारण अंग्रेजों द्वारा एक नई राइफल की शुरुआत थी, जिसके लिए सिपाहियों (भारतीय सैनिकों) को चर्बी वाले कारतूसों के सिरे को काटने की आवश्यकता थी, जो गायों और सूअरों की चर्बी से लिपटे होने की अफवाह थी, जानवरों को पवित्र या पवित्र माना जाता था।  क्रमशः हिंदुओं और मुसलमानों द्वारा वर्जित।  इसने सिपाहियों के बीच व्यापक विद्रोह को जन्म दिया, जो जल्दी ही देश के अन्य हिस्सों में फैल गया।

1857 का विद्रोह सिर्फ एक सैन्य विद्रोह नहीं था बल्कि ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एक व्यापक लोकप्रिय विद्रोह था।  ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिए भारतीय सैनिकों, किसानों और कारीगरों के साथ इसकी उपनिवेशवाद-विरोधी और साम्राज्यवाद-विरोधी प्रकृति की विशेषता थी।  विद्रोह भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने ब्रिटिश औपनिवेशिक नीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए और राष्ट्रवादी आंदोलनों के विकास को बढ़ावा दिया, जिसने अंततः 1947 में भारतीय स्वतंत्रता का नेतृत्व किया।

कुल मिलाकर, 1857 के विद्रोह ने भारत में लंबे समय से चल रहे राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक तनावों की पराकाष्ठा का प्रतिनिधित्व किया, और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में कार्य किया।

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