Q2 स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने विदेशी उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश में अवरोधक लगाए।
1991 के आसपास इन अवरोधकों को हटाने का फैसला क्यों किया गया? भारतीय ग्राहकों को इस नीति परिवर्तन से होने वाले किन्हीं दो लाभों के
बारे में लिखी।
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Answer:
स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था। (i) देश के उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से सरंक्षण प्रदान करने के लिए यह अनिवार्य माना गया । ... सरकार ने यह निश्चय किया कि भारतीय उत्पादकों के लिए विश्व के उत्पादकों से प्रतिस्पर्द्धा करने का समय आ गया हैं।
Answer:
भारत के विदेश व्यापार के अन्तर्गत भारत से होने वाले सभी निर्यात एवं विदेशों से भारत में आयातित सभी सामानों से है। विदेश व्यापार, ये आंकड़े वस्तु एवं कमोडिटी में व्यापार के आंकद़े हैं, इनमें सेवाओं एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सम्मिलित नहीं है।
प्राचीन काल से भारत विश्व के सुदूर भागों से व्यापार करता रहा है। प्राचीन काल से मसालों और इस्पात का निर्यात होता रहा है। रोम के भारत से व्यापारिक सम्बन्ध थे। वास्को डि गामा १४९८ में कालीकट पहुँचा था। उसकी इस यात्रा से पुर्तगाल को इतना लाभ हुआ कि अन्य यूरोपीय भी यहाँ से व्यापार करने को आतुर हो गये। भारतीय व्यापारियों ने १७४५ के पहले अजरबैजान के बाकू के पास एक अग्नि मंदिर का निर्माण किया था
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