Q2. योग और उसके साधक के सम्बन्ध में अर्जुन ने श्रीकृष्ण को छठे अध्याय मे कौनसे दो विशिष्ट प्रश्न पूछे? 'छोटा बादलल' और 'बड़ा बादल' क्या दर्शाता है? अश्यास करने वाले योगी के जीवन के संबंध में मेघ से की गई तुलना की व्याख्या करें। क्या एक असफल योगी, भौतिक और आध्यात्मिक दोनों रूप से असफल हो जाता है? कृपया समझाएँ। असफल योगियों की दो श्रेणियां कौन सी हैं? वे अगले जन्म में कहाँ जाते हैं?
Answers
Answer:
श्रीकृष्ण कर्मयोग और कर्म संन्यास के तुलनात्मक मूल्यांकन के अनुक्रम को पांचवें अध्याय से इस छठे अध्याय में भी जारी रखते हैं और पहले वाले मार्ग के अनुसरण की संस्तुति करते हैं। जब हम समर्पण के साथ कार्य करते हैं तब इससे हमारा मन शुद्ध हो जाता है और हमारी आध्यात्मिक अनुभूति गहन हो जाती है। फिर जब मन शांत हो जाता है तब साधना उत्थान का मुख्य साधन बन जाती है। ध्यान द्वारा योगी मन को वश में करने का प्रयास करते हैं क्योंकि अप्रशिक्षित मन हमारा बुरा शत्रु है और प्रशिक्षित मन हमारा प्रिय मित्र है। श्रीकृष्ण अर्जुन को सावधान करते हैं कि कठोर तप में लीन रहने से कोई सफलता प्राप्त नहीं कर सकता और इसलिए मनुष्य को अपने खान-पान, कार्य-कलापों, अमोद-प्रमोद और निद्रा को संतुलित रखना चाहिए। आगे फिर वे मन को भगवान में एकीकृत करने के लिए साधना का वर्णन करते हैं। जिस प्रकार से वायु रहित स्थान पर रखे दीपक की ज्वाला में झिलमिलाहट नहीं होती। ठीक उसी प्रकार साधक को मन साधना में स्थिर रखना चाहिए। वास्तव में मन को वश में करना कठिन है लेकिन अभ्यास और विरक्ति द्वारा इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए मन जहाँ कहीं भी भटकने लगे तब हमें वहाँ से इसे वापस लाकर निरन्तर भगवान में केंद्रित करना चाहिए। जब मन शुद्ध हो जाता है तब यह अलौकिकता में स्थिर हो जाता है। आनन्द की इस अवस्था को समाधि कहते हैं जिसमें मनुष्य असीम दिव्य आनन्द प्राप्त करता है।
1.योग और उसके साधक के संबंध में अर्जुन ने श्री कृष्ण से विशिष्ट प्रश्न पूछे- 'अर्जुन ने पूछा कि जो योगी योग में असफल हो जाता है तो उसका भाग्य क्या होता है? जो इस पथ पर श्रद्धा के साथ चलना आरंभ करता है, परंतु जो अस्थिर मन के कारण संपूर्ण प्रत्यन नहीं करता तथा इस जीवन में योग के लक्ष्य तक पहुंचने में समर्थ नहीं रहता है।'
'क्या ऐसा व्यक्ति योग से पथ भ्रष्ट भौतिक एवं आध्यात्मिक सफलताओं से अप्रिय नहीं होता तथा छिन्न-भिन्न बादलों की तरह नष्ट नहीं होता, जिसके परिणामस्वरूप वह किसी भी लोक में स्थान नहीं पता?'
2. मनुष्य को क्रोध नहीं करना चाहिए। क्रोध में मनुष्य हमेशा गलत निर्णय लेता है। 'छोटा बादल' क्रोध को दर्शाता है तथा 'बड़ा बादल' अधिक क्रोध को दर्शाता है।
3. योगी मृत्यु के बाद पुण्य आत्मा के लोग बन जाते हैं। कई वर्षों तक वहांँ पर निवास करने के कारण वह पुन: धरती पर कुल या धनवानो के कुल में जन्म लेते हैं, या वे जब दीर्घकाल तक योग के अभ्यास से उदासीन होते हैं तब उसका जन्म दिव्य ज्ञान से पूरा होता है। ऐसा जन्म संसार में अत्यंत दुर्लभ है।
4. एक असफल योगी बौद्धिक और आध्यात्मिक दोनों रूपों से असफल नहीं होता क्योंकि जब वह एक धनी व्यक्ति के परिवार में जन्म लेता है तो उससे शुरुआत से ही योग या आध्यात्मिकता के अभ्यास के लिए एक अनुकूल वातावरण मिलता है। और पूरी निष्ठा से योग या भक्ति का अभ्यास करता है। वह स्वयं को कभी खोता नहीं है और स्वयं को भौतिक दुखों से मुक्त करने में सक्षम रहता है।
5. असफल योगियों की दो श्रेणियां- वे योगी जो इंद्रियों पर विजय नहीं पा पाता, जिसका मन अशांत रहता है और जिसका ज्ञान और विवेक से संबंध नहीं होता असफल योगी होता है। वे अगले जन्म में पुण्य आत्माओं के लोक में जाते हैं।
For more questions
https://brainly.in/question/14429403
https://brainly.in/question/36468521
#SPJ3