English, asked by yogeshchahal50, 5 months ago

Q22-कट्टरपंथी नारीवाद क्या है?
1. यह दावा है कि समाज एक पितृसत्ता है जिसमें
पुरुषों का वर्ग महिलाओं के वर्ग के सभी उत्पीड़कों का
है।
2. इसका उद्देश्य ट्रांसजेंडरों के लिए समान
राजनीतिक, आर्थिक और समाज अधिकारों की
स्थापना करना है
3. दोनों और 2
4. इनमें से कोई नहीं​

Answers

Answered by danishhasan5037
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Answer:

AGNOY83653 join my kbc team now

Answered by deepalunthi878
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Explanation:

जहाँ दो बहनो का हक जबरदस्ती छीन लिया जा रहा plz help जबरदस्ती गोदनामा ले कर 1 ब्यक्ति(राकेश कुमार पाण्डेय s/o shvami nath पाण्डेय) इन दोनो बहनो को रोड पे कर दिया और प्रसासन् भी उसी बैमान् का साथ दे रही क्यो की उन लोगों के पास पैसा हैं वो लोग किसी को भी खरीद सकते हैं चाहे लेकपाल हो या कनूनगो क्योकि मामला लगभग 30 बीघा ज़मीन का हैं

ये मामला #UP ke

Basti जिले के ग्राम- पढ़नी, भूड़कुलगंज् का हैं

Harraiya थाना के अंतर्गत आता हैं

दोनों बहनें

बड़ी बहन श्रीमती शिव कुमारी और छोटी बहन श्रीमती सारदा देवी हैं

राजनैतिक आन्दोलनों, विचारधाराओं और सामाजिक आंदोलनों की एक श्रेणी है, जो राजनीतिक, आर्थिक, व्यक्तिगत, सामाजिक और लैंगिक समानता को परिभाषित करने, स्थापित करने और प्राप्त करने के एक लक्ष्य को साझा करते हैं। इसमें महिलाओं के लिए पुरुषों के समान शैक्षिक और पेशेवर अवसर स्थापित करना शामिल है।

नारीवादी सिद्धांतों का उद्देश्य लैंगिक असमानता की प्रकृति एवं कारणों को समझना तथा इसके फलस्वरूप पैदा होने वाले लैंगिक भेदभाव की राजनीति और शक्ति संतुलन के सिद्धांतों पर इसके असर की व्याख्या करना है। स्त्री विमर्श संबंधी राजनैतिक प्रचारों का ज़ोर, प्रजनन संबंधी अधिकार, घरेलू हिंसा, मातृत्व अवकाश, समान वेतन संबंधी अधिकार, यौन उत्पीड़न, भेदभाव एवं यौन हिंसा पर रहता है।

स्त्रीवादी विमर्श संबंधी आदर्श का मूल कथ्य यही रहता है कि कानूनी अधिकारों का आधार लिंग न बने।

आधुनिक स्त्रीवादी विमर्श की मुख्य आलोचना हमेशा से यही रही है कि इसके सिद्धांत एवं दर्शन मुख्य रूप से पश्चिमी मूल्यों एवं दर्शन पर आधारित रहे हैं। हालाँकि ज़मीनी स्तर पर स्त्रीवादी विमर्श हर देश एवं भौगोलिक सीमाओं मे अपने स्तर पर सक्रिय रहती हैं और हर क्षेत्र के स्त्रीवादी विमर्श की अपनी खास समस्याएँ होती हैं।

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