Social Sciences, asked by 9709197198, 8 months ago

Q9) "अपने आत्मसम्मान को दांव पर लगाकर जीवित रहना अशोभनीय है। आत्मसम्मान जीवन का सबसे जरूरी हिस्सा है। जिसके बिना व्यक्ति नगण्य है। आत्मसम्मान के साथ जीवन बिताने के लिए व्यक्ति को कठिनाईयों पर विजय प्राप्त करनी होती है। केवल कठिन और निरंतर संघर्ष से ही व्यक्ति बल, विश्वास और मान्यता प्राप्त कर सकता है।" उपर्युक्त कथन किसके द्वारा कहा गया है?

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Answered by shishir303
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अपने आत्मसम्मान को दांव पर लगाकर जीवित रहना अशोभनीय है। आत्मसम्मान जीवन का सबसे जरूरी हिस्सा है। जिसके बिना व्यक्ति नगण्य है। आत्मसम्मान के साथ जीवन बिताने के लिए व्यक्ति को कठिनाईयों पर विजय प्राप्त करनी होती है। केवल कठिन और निरंतर संघर्ष से ही व्यक्ति बल, विश्वास और मान्यता प्राप्त कर सकता है।"

उपर्युक्त कथन ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर’ द्वारा कहा गया था।

स्पष्टीकरण:

डॉ. भीमरावजी अंबेडकर जिन्हे बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है, वह भारत के एक प्रसिद्ध विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने भारत के समाज में व्याप्त सामाजिक भेदभाव अर्थात अछूतों के प्रति भेदभाव के विरुद्ध आंदोलन चलाया और दलितों के उत्थान के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। वे भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री भी थे। डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान के सूत्रधार भी रहे। वे संविधान सभा की प्रारूप समिति के प्रमुख थे।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को 1990 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को और मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को हुई थी।

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