English, asked by aniljaiswalbara, 7 months ago

Que. 2 राज्य के विकास पर एक निबंध लिखिए।
TATito​

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Answered by aarti225566
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Answer:

राज्य का अर्थ संपादित करें

यूरोपीय चिंतन में राज्य के चार मूल तत्व बताये जाते हैं -

निश्चित भूभाग , जनसँख्या , सरकार और संप्रभुता।

मैक्स वेबर ने राज्य को ऐसा समुदाय माना है जो निर्दिष्ट भूभाग में भौतिक बल के विधिसम्मत प्रयोग के एकाधिकार का दावा करता है।

गार्नर ने राजनीति विज्ञान का आरंभ और अंत राज्य को ही बताया है वहीं आरजे गेटल ने राजनीति विज्ञान को राज्य का विज्ञान बताया है।

भारतीय राजनीतिक चिन्तन में 'राज्य' के सात अंग गिनाये जाते हैं-

राजा या स्वामी, मंत्री या अमात्य, सुहृद, देश, कोष, दुर्ग और सेना। (राज्य की भारतीय अवधारणा देखें।)

कौटिल्य ने राज्य के सात अंग बताये हैं और ये उनका "सप्ताङ्ग सिद्धान्त " कहलाता है - राजा , आमात्य या मंत्री , पुर या दुर्ग , कोष , दण्ड, मित्र । राज्य का क्षेत्रफल बड़ा होता है। अर्थात बड़ा भूभाग से घिरा क्षेत्र।

आधुनिक राष्ट्र राज्य का उदय एवं विकास संपादित करें

आधुनिक युग में राष्ट्र और राज्य प्राया एक से हो गए हैं राज्य की सीमाओं को ही राष्ट्रीय सीमाएं कहा जाता है। राज्य के हित को ही राष्ट्रीय हित मान लिया जाता है और विभिन्न राज्यों के परस्पर संबंधों को अंतरराष्ट्रीय संबंध कहा जाता है। राष्ट्र राज्य में वहां के सभी निवासी आ जाते हैं चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, भाषा या संस्कृति आदि से संबंध रखते हो बशर्ते कि वह अपने सामान्य इतिहास, सामान्य हित और सामान्य जीवन के महत्व के प्रति सजग हो और एक केंद्रीय सत्ता के प्रति निष्ठा रखते हो वस्तुतः आधुनिक राष्ट्र-राज्य का विकास मानव सभ्यता की बहुत लंबी इतिहास का परिणाम है इनकी निम्नलिखित अवस्थाएं स्वीकार की जाती है।

कबीला राज्य- यह राज्य का सबसे पुराना रूप है जिसमें छोटे छोटे काबिले अपने अपने सरदार की शासन में रहते थे यह कबीले स्वजन समूह पर आधारित है समूहों पर आधारित थे कुछ कबीले खानाबदोश थे जिन्हें राज्य मानना ठीक नहीं होगा

प्राच्य साम्राज्य- यह वही स्थिति है जब नीलगंगा पीली नदी आदि की उर्वर घाटियों में प्रारंभिक सभ्यता का विकास हुआ और शहर बन गए इन जगहों पर भिन्न-भिन्न सुजन समूहों के लोग आकर मिलजुल कर रहने लगे प्राचीन मिस्र बेबीलोन सीरिया भारत और चीन के साम्राज्य इसी श्रेणी में आते हैं।

यूनानी नगर- राज्य जब ईजियन और भूमध्य सागर की ओर सभ्यता का विस्तार हुआ तब यूरोप प्रायद्वीप में भी राज्य का उदय हुआ। इस तरह यूनानी नगर राज्य अस्तित्व में आए क्योंकि वहां पर्वतों, घने जंगलों और समुद्र ने भूमि को अनेक घाटियों और द्वीपो में बांट दिया था। जिन की रक्षा करना सरल था परंतु समुद्री मार्ग से आपस में जुड़े हुए थे यहां छोड़ चुके नगर राज्य बस गए जिससे वहां निरंकुश निरंकुश शासक आदत में नहीं आए बल्कि यहां के नागरिक मिलजुलकर शासन चलाते थे।

रोमन साम्राज्य- जब आंतरिक कला और बाय आक्रमणों के कारण यूनानी नगर राज्य नष्ट हो गए। तब यूरोप में रोम सारी सभ्यता का केंद्र बना और रोमन साम्राज्य विकसित हुआ। विभिन्न जातियों धर्म और प्रथाओं को मानने वाले लोगों पर शासन करने के लिए विस्तृत कानूनी प्रणाली विकसित की गई। साम्राज्य की शक्ति पर धर्म की छाप लगा दी गई। उनकी अदम्य शक्ति के नीचे व्यक्तियों की स्वतंत्रता दबकर रह गई। अंततः यह शक्तिशाली साम्राज्य अपने ही भार को ना संभाल पाने के कारण छिन्न भिन्न हो गया।

सामन्ती राज्य- रोमन साम्राज्य के पतन के बाद केंद्रीय सत्ता लुप्त हो गई पांचवी शताब्दी ईस्वी से मध्यकाल का आरंभ हुआ जिसमें सारी शक्ति बड़े बड़े जमीदारों जागीरदारों और सामान सरदारों के हाथों में आ गई वैसे छोटे-छोटे राज्यों में राजा जिसकी सर्वोच्च मानी जाती थी परंतु शक्ति सामंत सरदारों के हाथ में ही रही। जनसाधारण के कृषि दासों के रूप में खेतों पर घोर परिश्रम करते थे। और उनका जीवन जमीदारों के अधीन था। सामंत सरदारों के अलावा धार्मिक तंत्र के उच्चाधिकारियों विशेषता पूर्व के हाथों में भी विस्तृत शक्तियां आ गई थी। चौदहवीं शताब्दी तक आते-आते अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने लगे और तब राजतंत्र की शक्ति को पुनर्जीवित किया गया। उन्हें दिनों वाणिज्य व्यापार और उद्योग के विकास के कारण भी जमीदारों की शक्ति को चुनौती दी जाने लगी।

आधुनिक राष्ट्र राज्य- 15वीं और 16वीं शताब्दी से यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय हुआ तब जमीदारों और धर्म अधिकारियों की शक्ति क्षीण हो चुकी थी और नए आर्थिक संबंधों के अलावा लोग राष्ट्रीय भाषा और संस्कृति की एकता तथा देश की प्राकृतिक सीमाओं इत्यादि के विचार से अस्थाई समूह के रूप में जुड़ गए थे। इस तरह पहले फ्रांस स्पेन इंग्लैंड स्विट्जरलैंड नीदरलैंड रूस इटली और जर्मनी में राष्ट्र राज्यों का विकास हुआ। प्रारंभिक राज्यों में राजतंत्र का बोलबाला था जिसमें सारी सत्ता किसी राजा के हाथों में रहती थी परंतु 18वीं शताब्दी में यूरोप में संवैधानिक शासन का उदय हुआ सर्वप्रथम इंग्लैंड में गौरव क्रांति के अंतर्गत शांतिपूर्ण तरीके से संसद के हाथों में अधिकार प्राप्त हो गए इसके लिए फ़्रांस मे फ्रांसीसी क्रांति के अंतर्गत हिंसा का सहारा लेना पड़ा 18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान उपनिवेशवाद का सहारा लिया गया इस दौर में ब्रिटेन फ्रांस बेल्जियम और लैंड पुर्तगाल स्पेन इत्यादि ने एशिया अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के क्षेत्रों पर अपनी उपनिवेशवाद का जाल फैला कर उनका भरपूर दोहन किया दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात उपनिवेशवाद का पतन होना शुरू हो गया और विश्व के क्षितिज पर नए नए राष्ट्र राज्य उदित हुए।

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