Question 1:
'इस विजन में ......... अधिक है' - पंक्तियों में नगरीय संस्कृति के प्रति कवि का क्या आक्रोश है और क्यों?
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter चंद्र गहना से लौटती बेर
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‘चंद्र ग्रहण से लौटती बेर ‘ कविता के रचयिता कवि केदारनाथ अग्रवाल जी है। इस कविता में कवि का प्रकृति के प्रति गहन प्रेम का पता चलता है। वह चंद्र गहना नामक स्थान से लौटते हैं, तो वहां का प्राकृतिक परिवेश उन्हें बहुत आकर्षित कर लेता है। उसी प्रकृति एवं संस्कृति की एकता उन्होंने इस कविता में व्यक्त की है।
उत्तर:-
कवि को ग्रामीण जीवन की सुंदरता एवं सादगी अधिक पसंद है। कभी नगरीय संस्कृति के प्रति वैसे सहजभाव नहीं रखता जैसे ग्रामीण अंचल की सुंदरता के प्रति उसके हृदय में है। उसे नगरीय जीवन जो छल कपट और दिखावे से परिपूर्ण है, जिसमें प्रत्येक वस्तु का आकलन व्यापारिक दृष्टिकोण से किया जाता है, पसंद नहीं है। शहरी जीवन की संस्कृति के प्रति उसके हृदय में आक्रोश की भावना है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
उत्तर:-
कवि को ग्रामीण जीवन की सुंदरता एवं सादगी अधिक पसंद है। कभी नगरीय संस्कृति के प्रति वैसे सहजभाव नहीं रखता जैसे ग्रामीण अंचल की सुंदरता के प्रति उसके हृदय में है। उसे नगरीय जीवन जो छल कपट और दिखावे से परिपूर्ण है, जिसमें प्रत्येक वस्तु का आकलन व्यापारिक दृष्टिकोण से किया जाता है, पसंद नहीं है। शहरी जीवन की संस्कृति के प्रति उसके हृदय में आक्रोश की भावना है।
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केदारनाथ अग्रवाल का जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के कमासिन गांव में सन 1911 में हुआ उनकी शिक्षा इलाहाबाद और आगरा विश्वविद्यालय से हुई केदारनाथ अग्रवाल पेशे से वकील रहे हैं उनका तथा कालीन साहित्य आंदोलन से गहरा जुड़ाव रहा है सन 2000 में उनका देहांत हो गया
इन पंक्तियों में कवि का आक्रोश नारी जीवन और सांस्कृतिक के प्रति जागृत कि यहां प्रेम और सौंदर्य का सरल और मानवता जैसी चीजें मर गई हैं कि आगे बढ़ने की ओर ने मनुष्य को शहरी जीवन में अपने तक सीमित अर्थात आत्मा केंद्रित कर दिया है वह वास्तविक सुख शांति प्रेम और प्राकृतिक को भूलकर जीवन की आपाधापी में उलझ गए हैं
आशा करते हैं यह आपकी मदद करेगा
इन पंक्तियों में कवि का आक्रोश नारी जीवन और सांस्कृतिक के प्रति जागृत कि यहां प्रेम और सौंदर्य का सरल और मानवता जैसी चीजें मर गई हैं कि आगे बढ़ने की ओर ने मनुष्य को शहरी जीवन में अपने तक सीमित अर्थात आत्मा केंद्रित कर दिया है वह वास्तविक सुख शांति प्रेम और प्राकृतिक को भूलकर जीवन की आपाधापी में उलझ गए हैं
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